Shiv temple- भगवान भोले के अनेक रूपों के साथ अनेकों नाम से आप जानते होंगे. जिले के डोमचांच प्रखंड के मसनोडीह में एक मंदिर में शिवलिंग पूरी तरह से पारदर्शी है. यहां लोग भगवान भोले को ‘निरंजन दास’ के नाम से जानते हैं. 1850 में राजा महाराजाओं ने यहां यह शिवलिंग स्थापित किया था. पारदर्शी शिवलिंग होने के कारण यह मंदिर काफी विख्यात है. जहां दूर-दूर से लोग आराधना करने आते हैं.
साल 1850 में वर्तमान बिहार के नवादा जिला अंतर्गत बारतगढ़ इस्टेट के जमींदार धर्म नारायण सिंह के द्वारा इस शिवलिंग को स्थापित किया गया था. पारदर्शी शिवलिंग होने की विशेषता के कारण ही यह मंदिर काफी विख्यात है. लोग इसे स्फटिक का पत्थर भी बताते हैं. मसनोडीह निवासी दीपक सिंह बताते हैं कि उनके पूर्वज धर्म नारायण सिंह को डेढ़ दशक पहले भगवान भोले स्वप्न में दिखाई दिए थे और मसनोडीह से थोड़ी दूर चंचाल पहाड़ी क्षेत्र में होने की बात उन्हें स्वप्न में बताई थी.
राजस्थान के रणकपुर जैन मंदिर की बनावट है अद्भुत, ताजमहल से की जाती है तुलना
अगले ही दिन उन्हेंं उसी स्थान पर यह शिवलिंग के आकार का पत्थर मिला. इसके बाद पूरे विधि-विधान व मंत्रोच्चारण के साथ शिवलिंगरूपी स्फटिक पत्थर को लाया गया और यहां स्थापित किया गया. शिवलिंग के स्थापित होने के बाद यहां के लोगों की आस्था इसके प्रति लगातार बढ़ती जा रही है. विधायक, मंत्री से लेकर दूर-दूर से लोग भगवान भोले के इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
मसनोडीह में पूर्व जमींदार धर्म नारायण सिंह के परिसर में एक छोटे से मंदिर में स्थापित भगवान शंकर के इस शिवलिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि शिवलिंग के सामने दीपक जलाने पर शिवलिंग आर-पार दिखाई देती है. इसे देखने के लिए लोग काफी उत्सुकता के साथ यहां आते हैं और भगवान से मनोवांछित कामना करते हैं.
Sonbhadra Travel Guide : यहां है काले पत्थर से बनी शिव और पार्वती की दुर्लभ मूर्ति
1850 में स्थापित इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं. राजा महाराजा के काल में बने इस मंदिर में अंग्रेजों की भी नजर थी. पारदर्शी पत्थर होने के कारण कई बार अंग्रेजों ने उस वक्त के जमींदारों से इस शिवलिंग को खरीदने की चेष्टा भी की, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मंदिर की स्थापना के बाद से ही धर्म नारायण सिंह के परिवार के साथ-साथ मसनोडीह गांव की खूब तरक्की हुई और लोगों के रहन-सहन में काफी बदलाव आया.
Tanot Rai Mata Mandir – पाकिस्तान ने गिराए हजारों बम, मंदिर पर खरोंच तक नहीं आई
अंग्रेज इसकी एवज में मुंह मांगी रकम देने की बात भी कही, लेकिन राजा ने अंग्रेजों की इच्छा को कभी पूरा नहीं होने दिया. मंदिर के पुजारी रविंद्र पांडे बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के बाद गांव की तरक्की से लोग खुश थे और उसी वक्त से सभी तबके के लोगों का मंदिर में आना-जाना था. उन्होंने बताया कि वे अपने पूर्वजों की चौथी पीढ़ी हैं जो इस मंदिर में पूजा-पाठ कर रहे हैं। आज भगवान की कृपा से उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं है.
इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी हैं. कहते हैं कि राजा महाराजाओं के शासनकाल में बने इस मंदिर पर अंग्रेजों की भी नजर थी. पारदर्शी शिवलिंग होने के कारण कई बार अंग्रेजों ने इस शिवलिंग को खरीदने की चेष्टा भी की थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. लोगों का मानना है कि मंदिर की स्थापना के बाद से गांव की खूब तरक्की हुई और लोगों के रहन-सहन में काफी बदलाव आया.
मसनोडीह के दीपक बताते हैं कि करीब डेढ़ सौ साल पहले भगवान भोले राजा के स्वप्न में दिखाई दिए थे, जिसके बाद यहां यह शिवलिंग स्थापित किया गया था. तब से यहां के प्रति लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. वहीं मंदिर के पुजारी रविंद्र पांडे बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के बाद गांव की तरक्की से राजा महाराजा काफी खुश थे और उसी वक्त से सभी तबके के लोगों का मंदिर में आना जाना था.
Dehydration Hone Par Kya Karen : गर्मी के मौसम में अधिकतर लोगों को डिहाइड्रेशन की… Read More
Mehsana Travel Blog : मेहसाणा भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक शहर और जिला… Read More
Nuh Tourist Places : नूंह दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर और 190 मीटर की ऊंचाई… Read More
Aayushman Health Card Poori Jankaari : आयुष्मान भारत-प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) एक राष्ट्रीय… Read More
Vastu Tips For Home: ऐसा कहा जाता है कि वास्तु नियमों और सिद्धांतों का पालन… Read More
Learner Licence Kaise Banwayen: लर्नर लाइसेंस एक temporary driving license है जिसे RTO द्वारा जारी… Read More