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Mahabharata era Lakshagraha : कहां है महाभारत काल का लाक्षागृह, जहां दुर्योधन-शकुनी ने रची थी पांडवों को मारने की साजिश

Lakshagrah of Mahabharat – महाभारत में कई घटनाएं, संबंध और ज्ञान-विज्ञान के रहस्य छिपे हुए हैं. महाभारत का हर पात्र जीवित है, चाहे वह कौरव, पांडव, कर्ण और कृष्ण हो या धृष्टद्युम्न, शल्य, शिखंडी और कृपाचार्य हो. महाभारत सिर्फ योद्धाओं की गाथाओं तक सीमित नहीं है महाभारत से जुड़े शाप, वचन और आशीर्वाद में भी रहस्य छिपे हैं. दरअसल, महाभारत की कहानी युद्ध के बाद समाप्त नहीं होती है. असल में महाभारत की कहानी तो युद्ध के बाद शुरू होती है जो आज भी जारी है. माना जाता है कि वर्तमान युग महाभारत की ही देन है. आज हम आपको महाभारत से जुड़ी एक ऐसी कहानी के बारे में बताएंगे जिसमें शकुनी कुंति सहित पांडवों को मारने की साजिश रचता है.

शकुनी की नीति के तहत दुर्योधन ने पांडवों के रुकने के लिए एक ऐसा महल बनवाया था, जो लाख से बना था जिसे बाद में लाक्षागृह कहा गया. यह लाख तेजी से आग पकड़ता है. दुर्योधन ने पांडवों को मारने की साजिश रची थी. इस महल में रात में चुपचाप से आग लगा दी गई थी ताकि सोते हुए पांडवों की इस महल में ही जलकर मृत्यु हो जाए. लेकिन पांडवों के जासूसों ने उन्हें इस योजना की सूचना दे दी. इसमें सबसे अहम भूमिका थी विदुर की. विदुर की ही मदद से महल के नीचे एक सुरंग खुदवा दी गई थी और पांडव रात को ही उस गुप्त सुरंग से बच निकले थे. ये सुरंग आज भी है, जो बागपत जिले की बड़ौत तहसील में बरनावा गांव में है. हिंडन नदी के किनारे पर यह सुरंग आज भी मौजूद है. लाख से बने महल के अवशेष आज भी बरनावा में पाए जाते हैं जिसे बरनावा या वारणावत भी कहा जाता है.

मेरठ से 35 और सरधना से 17 किलोमीटर दूस बागपत जिले में स्थित एक तहसील का नाम वारणावत है .यहां महाभारत कालीन लाक्षाग्रह चिन्हित है इसके अवशेष आज भी यहां एक टीले के रूप में मौजूद हैं. लाक्षागृह से निकलने पर भटकते हुए पांडव वर्तमान नागालैंड में पहुंच गए थे वहां पर राक्षसी ह‌िड‌िंबा संग भीम का विवाह हुआ था तत्पश्चात उनका घटोत्कच नामक पुत्र हुआ जोकि भीम के समान ही बलशाली था. भीम अपने पुत्र के साथ जिन गो‌‌ट‌ियों से शतरंज खेला करते थे वह आज भी नागालैंड के द‌िमापुर में देखी जा सकती हैं.

पांडवों को पहले से पता था मामा शकुनी की साजिश के बारे में

जब पांचों पांडव मां कुंती के साथ वारणावत पहुंचते हैं, तो पुरोचन उनका स्वागत कर अपने हाथों द्वारा बनाया गया भवन दिखता है. कुंती आने वाले खतरे से अनजान थी लेकिन पांचों पांडवों को ये ज्ञात हो गया है कि इस भवन में आग जरूर लगेगी. इसीलिए विदुर की सलाह पर, युधिष्ठिर नेआग से बचने के लिए बिल खोदने का फैसला लिया.

लेकिन इस बात की किसी को भनक ना लगे, इसलिए उन्होंने एक अनुभवी सुरंग खोदने वाले की खोज करने को कहा. तभी वहां वारणावत के मंत्री, युधिष्ठिर के दर्शन करने आते हैं साथ ही एक खनिक भी आया जिसे देखकर युधिष्ठिर समझ गए कि ये खनिक काका विदुर द्वारा ही भेज गया है. उस खनिक ने अपना काम करना शुरू कर दिया और सुरंग खोदने लगा. पांडव वारणावत का भ्रमण करने का बहाना कर सुरंग का परीक्षण करते हैं.

Lakshagrah of Mahabharat – Complete Conspiracy against Pandav

यहां हस्तिनापुर में दुर्योधन और शकुनि बहुत खुश हैं और इंतजार कर रहे हैं कि पांचों पांडव और कुंती के जलकर मर जाने खबर आएगी. वहीं विदुर को भी खबर मिलती है कि अमावस की रात को पुरोचन लाक्षागृह में आग लगाएगा. विदुर ये समाचार युधिष्ठिर तक पहुंचा देते हैं और आदेश देते हैं युधिष्ठिर अपने भाइयों और मां कुंती के साथ अमावस की रात के पहले ही दिन में वहां से निकल जाएं. उधर अर्जुन भी खनिक के पास ये संदेश लेकर जाते हैं और दो दिन में सुरंग तैयार करने को कहते हैं. अमावस की रात से पहले की रात उस खनिक ने अपना काम पूरा कर दिया और सुरंग का द्वार युधिष्ठिर के कक्ष में खोल दिया.

पांडवों का लाक्षागृह से पलायन

अमावस की रात को पुरोचन सैनिक के साथ लाक्षागृह में आग लगाने निकल पड़ते हैं और वन के उन वासियों को लाक्षागृह के आखिर दर्शन करने की सलाह देता है, जिन्होंने उस भवन के निर्माण में पुरोचन की मदद की थी. वो भी एक औरत और उसके पांच पुत्र हैं, जो मदिरा के नशे में हैं. उधर कर्ण बार-बार दुर्योधन को लाक्षागृह में होने वाली दुर्घटना को रोकने के लिए कहता है, लेकिन दुर्योधन नहीं समझता.

इधर पुरोचन भी उन वन वासियों को लाक्षागृह बुलाकर मदिरा में मिलावट कर उन्हें पिलाता है, क्योंकि वो ये चाहता है कि लाक्षागृह में पांचों पांडव और कुंती के साथ वो भी जलकर भस्म हो जाएं, ताकि कोई सुराग ना रहे. उधर समय को नष्ट किए बिना भीम, पुरोचन के आग लगाने से पहले ही मां कुंती, सहदेव, नकुल, अर्जुन और युधिष्ठिर को सुरंग में भेजकर अपने हाथों से लाक्षागृह में आग लगा देता है और खुद भी उस सुरंग से बाहर निकल जाता है.

लाक्षागृह को आग की लपटों में देखकर वारणावत के सभी लोग वहां आ जाते हैं और लाक्षागृह के जलने की खबर शकुनि को मिलती है. वो बहुत खुश होता है लेकिन वो इस बात से अनजान है कि पांचों पांडव और कुंती उस सुरंग से बाहर वन की ओर निकल गए हैं.

Lakshagrah of Mahabharat – Complete Conspiracy against Pandav

पांडवों और कुंती की मृत्यु की झूठी खबर

शकुनि पांडवों और कुंती की मृत्यु का खबर दुर्योधन को देता है. साथ ही दुर्योधन को हस्तिनापुर के सिंघासन पर बैठाकर खुश होता. फिर शकुनि यही समाचार लेकर धृतराष्ट्र के पास जाता है, जिसे सुनकर धृतराष्ट्र और गांधारी, दोनों के पैरों तले जमीन खिसक जाती है. धृतराष्ट्र को यही लगता है पांचों पांडवों को मारने का षडयंत्र शकुनि ने रचा है और क्रोधित होकर वो शकुनि को वहां से जाने का आदेश देते हैं. धृतराष्ट्र और गांधारी दोनों, पांचों पांडव और कुंती की मृत्यु पर शोक जताते हैं और यह समाचार तातश्री भीष्म को देते हैं. जिसे सुनकर वो शोक में डूब जाते हैं.

 

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