Mawlynnong Village – भूल जाइए वो दौर जब दादी या नानी के गांव जाकर ही गर्मियों की छुट्टियों का मजा लिया जाता था. भारत जैसे देश में एक से एक बढ़कर गांव हैं जो न सिर्फ आदर्श गांव के रूप जाने जाते हैं बल्कि हर गांव की अपनी एक कहानी भी है, तो आज हम आपको एक ऐसे ही गांव में लेकर जा रहें हैं जिसका नाम मावल्यान्नांग गांव. यह गांव खूबसूरती के लिहाज से तो सुंदर है ही, इसके साथ ही यह गांव नारी शक्ति का एक अलग उदाहरण पेश करता है. भारतीय समाज में जहां पिता की संपत्ति पर बेटे का अधिकार माना जाता है, वहीं इस गांव में पिता के पास संपत्ति रहती ही नहीं बल्कि मां से पुत्री के पास हस्तांतरित होती है. यहां के बच्चों को मां का सरनेम दिया जाता है.
मेघालय की राजधानी शिलांग से कुछ ही दूरी पर स्थित मावल्यान्नांग गांव 2003 से पहले भारत सहित पूरे विश्व के लिए एक अपरिचित गांव था. यहां पर्यटक भी नहीं आते थे लेकिन जैसे ही इस गांव की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी बड़ी संख्या में यहां पर्यटक आने लगे हैं. इस गांव की एक और खास बात है.
ज्यादातर लोग गांव में अपनी ट्रिप प्लान नहीं करना चाहते, उन्हें लगता है कि भला गांव में घूमने-फिरने की क्या जगह होगी? अगर आपको भी ऐसा लगता है तो हम आपको शिलांग के पास मावलिननांग गांव के बारे में ऐसी खास बातें बताएंगे, जिससे आप एक बार तो यहां घूमना जरूर चाहेंगे. इसके साथ ही आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में सबसे ज्यादा विदेशी टूरिस्ट आते हैं.
इस गांव की खूबसूरती को निहारने के लिए आप बाकायदा टूर पैकेज बुक करा सकते हैं या फिर दोस्तों के साथ प्लान बनाकर एक कैजुअल ट्रिप प्लान कर सकते हैं. इस गांव में काफी सारी चीजें देखने लायक हैं.
इस गांव को एशिया का सबसे साफ सुथरे गांव का दर्जा मिला हुआ है. इस गांव को देख आप भी हैरत में रह जाएंगे और लगेगा कि यकीनन यह पृथ्वी पर किसी अजूबे से कम नहीं है. जहां स्वच्छता होती है भगवान भी वहीं विराजते हैं और शायद इसी वजह से इस गांव को ‘भगवान का अपना बगीचा’ के नाम से प्रसिद्धि मिली हुई है.
यहां का वॉटरफॉल भी बेजोड़ है, जहां आप दोस्तों के साथ एक छोटा-सा पिकनिक भी प्लान कर सकते हैं. यह वॉटरफॉल गांव के नाम यानी मावल्यान्नांग (Mawlynnong) के नाम से ही मशहूर है.
Mawlynnong गांव का लैंडमार्क है एपिफपनी का चर्च, जोकि 100 साल पुराना है, लेकिन आज भी इसका चार्म और खूबसूरती वैसी की वैसी ही है.
शिलांग पीक समुद्र तल से 6449 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और ये शिलांग का सबसे ऊंचा बिंदु है. इस झरने के साथ शिलांग अपनी सुंदरता में चार लगाता है. यहां टूरिस्ट दूरबीन से पक्षियों के सुंदर दृश्य देखते हैं.
शिलांग के घूमने की जगह में से हाथी झरना प्रमुख जगह है, हाथी झरना बेहद सुंदर जगह है. अंग्रेजों ने इसके आकार के कारण इसका नाम हाथी झरना या एलीफैंट फाल्स रखा. हालांकि साल 1897 में भूकम्प के कारण इस झरने का आकार थोड़ा क्षतिग्रस्त हो गया था.
शिलांग में घूमने के लिए मावफलांग बहुत ही सुन्दर जगह है. ये शिलांग से 25 किलोमीटर दूर है. ये स्थान पवित्र वन के बीच है। अगर पवित्र वन के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां पर घूमने जरूर जायें.
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शिलांग में जाकर्म वाटरफॉल गर्म पानी का झरना घूमने के लिए बहुत प्रसिद्ध स्थान है. शिलांग से ये जगह 64 किलोमीटर दूर है. ये स्थान यहां के लोगों के बीच हॉट स्प्रिंग्स के नाम से लोकप्रिय है.
शिलांग में आने वाले टूरिस्ट के लिए लेडी हैदर पार्क सबसे पसंदीदा जगह है. ये पार्क यहां की पहली महिला (लेडी हैदर) को समर्पित किया गया है. इस विशाल पार्क को मिनी चिड़ियाघर भी कहा जाता है. यहां पर 73 प्रजाति की चिड़िया ओर 100 से अधिक सरीसृपो को एक साथ देखा जा सकता है.
ये थी कुछ खास जगह मेघालय की राजधानी शिलांग की, इनकी सुंदरता देखनी है, तो शिलांग जरूर घूमने जायें. यहां पर आने वाले टूरिस्ट यहीं के होकर रह जाते हैं.
ठंड और बरसात के ठीक बाद शिलांग घूमना सबसे अच्छा माना जाता है, यानी आप मार्च-अप्रैल और सितंबर-फरवरी घूमने जा सकते हैं.
नेशनल हाइवे 40 के जरिए शिलांग देश के बाकी हिस्सों से अच्छे से जुड़ा हुआ है. एनएच 40 शिलांग को गुवाहाटी से जोड़ता है. मुख्य शहर से 30 किमी दूर उमरोई में एयरपोर्ट भी है.
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