Village Tour

Neem River : नीम नदी का हो गया पुनर्जन्म, जानें कैसे इसका निशान मिटा दिया गया था?

Neem River : हम बचपन से सरस्वती नदी (Saraswati River) के विलुप्त होने की बातें सुनते पढ़ते आए हैं, लेकिन भारत में ऐसी हजारों नदियां हैं, जो समय के साथ या तो विलुप्त हो गईं या किसी नाले की तरह बन गईं. अतिक्रमण, बढ़ती आबादी और सरकार और प्रशासन की लापरवाही इसकी प्रमुख वजह है. उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक ऐसी ही नदी को फिर से जीवंत किया गया है, जो लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी थी. हापुड़ के ही लोग इस नदी के बारे में नहीं जानते थे. ये है नीम नदी (Neem River). आज हम आपको इस नदी को फिर से जीवंत किए जाने को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में बताएंगे और साथ ही बताएंगे इस नदी से जुड़ी जानकारी भी.

हापुड़ के दत्तियाना गांव में ही नीम नदी का उद्गम || The Neem river originates in Dattiana village of Hapur

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में नीम नदी का उद्गम स्थल माना जाता है. यहां दत्तियाना गांव से नदी बहती है. कहा जाता है कि ऋषि दत्तात्रेय की तपोस्थली होने की वजह से इस गांव की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता है. नीम नदी, काली नदी की सहायक नदी है. नीम नदी 3 जिलों से होकर गुजरती है और हापुड़ जिले के 14 गांवों को सींचते हुए पहले बुलंदशहर और फिर अलीगढ़ में दाखिल होती है. यहां यह 40 किमी बहते हुए काली नदी में मिल जाती है.

अब नदी बारिश के मौसम को छोड़कर सालभर सूखी ही रहती है. हालांकि प्रशासन और कुछ जागरुक लोगों की कोशिशों से नीम नदी को पुनर्जीवित किए जाने के प्रयास तेज हो गए हैं. दत्तियाना से निकलकर नदी, रजवाहे को पार करती है. सफर तय करने के दौरान आगे हिम्मतपुर के जंगल से नदी गुजरती दिखती है, लेकिन पूरी तरह से सूखी हालत में ही. यहां भी नदी का ऊपरी हिस्सा अतिक्रमण की चपेट में है, आगे नदी राजपुर के जंगल से नदी गुजरती है. राजपुर के पास नदी में लोग कचरा भी फेंकते हैं. राजपुर के पास ही नदी रेलवे क्रासिंग को पार कर करीब आधा किलोमीटर आगे सिखेड़ा गांव के पास NHAI को पार करती है.

हापुड़ के बाद बुलंदशहर और अलीगढ़ में दाखिल होती है नीम नदी || After Hapur, Neem river enters Bulandshahr and Aligarh

ये नदी गंगनहर को भी साइफन के जरिए ही पार करती है. इसके बाद नदी सैना, बंगौली और दरियापुर होते हुए खुराना गांव पहुंचती है. यहां पर भी एक तालाब है. हापुड़ जिले में 14 किलोमीटर का सफर तय कर नीम नदी गांव बाहपुर के पास बुलंदशहर जिले में दाखिल हो जाती है. और फिर अलीगढ़ में.

दयनीय स्थिति ये है कि नीम नदी का उद्गम स्थल ही नहीं, बल्कि इसकी ऊपरी पट्टी भी अतिक्रमण की चपेट में आ गई.किसानों ने इसकी सीमा को काटकर अपने खेतों में मिला लिया और किनारे खड़े वृक्ष भी काट लिए. ऐसे में जब बरसात आती है, तो नदी में पानी भर जाता है और कई जगह नदी और खेत एक हो जाते हैं.

नदी और तालाब, भूजल को व्यवस्थित करने के सबसे बड़े स्रोत हैं. लेकिन हमने प्रकृति के दिए इन्हीं तोहफों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अब इस नदी को जीवित करने के प्रयास तो शुरू हुए हैं लेकिन अतिक्रमण से पूरी तरह मुक्त कराना और ये कोशिश करना कि कहीं ये सिर्फ बरसाती नदी बनकर ही न रह जाए, बड़ी चुनौती होगी.

 

Recent Posts

Ragi Cheela : 10 मिनट में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर रागी चीला तैयार करें

Ragi Cheela : नाश्ते में चीला लोगों की पहली पसंद होता है. ज़्यादातर घरों में… Read More

2 days ago

Chhath Puja 2025 : नहाय खाय और सूर्य देव की भक्ति: छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक

साल 2025 में चार दिन चलने वाले छठ पर्व का पहला दिन, जिसे नहाय खाय… Read More

2 days ago

Sabarimala Temple – भगवान अयप्पा का पवित्र धाम और इसकी रहस्यमयी परंपराएं

सबरीमाला मंदिर भारत के केरल राज्य के पठानमथिट्टा जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र हिन्दू… Read More

2 days ago

How I Explored Telangana Without Breaking the Bank

Travelling on a budget often feels like a puzzle. You want to cover as much… Read More

2 days ago

नवरात्रि 2024 कब है? जानें तिथि, पूजा समय, अनुष्ठान, महत्व और बहुत कुछ

नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि या शरद नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह… Read More

5 days ago

जब यात्रा की बात आती है, तो एक यादगार होटल में ठहरना बहुत मायने रखता… Read More

5 days ago