Paan Singh Tomar Village : पान सिंह तोमर मुरैना जिले के भिड़ौसा गांव से थे. आइए जानते हैं कि ये गांव कितना बदला है...
Paan Singh Tomar Village : बीहड़ की वो सरजमीं… जिसका नाम लेते ही जहन में बागी और बंदूकें गूंजने लगती हैं. चंबल दहशत का दूसरा नाम रहा है, लेकिन आज हम आपको चंबल की एक ऐसी तस्वीर दिखायेंगे तो उम्मीद और बेहतर भविष्य से भरी हुई है.
भिड़ौसा गांव (Bhidosa Village)… पान सिंह तोमर के इस गांव में पिछली बार बेपनाह प्यार मिला… वर्चुअल वर्ल्ड में भी और वर्चुअल वर्ल्ड की दुनिया में इस वीडियो को ले जाने से पहले इस गांव में भी…
इंटरनेट पर इस गांव को लेकर जो जानकारी मिलती है, उसके मुताबिक, ये मुरैना की अंबा तहसील में है और जिले के हेडक्वॉर्टर से 41 किलोमीटर दूर है. (Paan Singh Tomar Village) अंबा से इसकी दूरी 17 किलोमीटर है और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 445 किलोमीटर. पोरसा, राजाखेड़ा, ग्वालियर जैसे शहर यहां से नजदीक हैं.
पहली बार इस गांव की यात्रा सितंबर 2021 में की और दूसरी बार ठीक एक साल बाद सितंबर 2022 में… इस बार सुबह सुबह शनिचरा महादेव मंदिर से गांव के लिए निकले और मितावली, ककनमठ होते हुए यहां आए चंबल दहशत का दूसरा नाम रहा है, लेकिन आज हम आपको चंबल की एक ऐसी तस्वीर दिखायेंगे तो उम्मीद और बेहतर भविष्य से भरी हुई है.
इस गांव में बहती है आसन नदी. वही आसन नदी जिसमें महाभारत के अनुसार कुंती ने अपने पुत्र कर्ण को बहाया था. नदी के किनारे स्थित गांव में एक विशेष मंदिर….जी हां ये मंदिर कई मायनों में विशेष है.. देखने में ये एक आम मंदिर ही है पर इसी मंदिर, एक तरफ है श्मशान तो ठीक सामने आता है आसन नदी. मंदिर के सामने नदी के उस पार पड़ जाता है दूर जिला जहां पान सिंह तोमर का घर है. पान सिंह तोमर को तो आप जनता ही होंगे.
गांव में आज भी पान सिंह और दूसरे डकैतों के किस्से कहे सुने जाते हैं. इसी मंदिर में उनके द्वारा स्थापिक की गई है मंसा देवी की एक प्रतिमा है.
जब पान सिंह का एनकाउंटर हुआ तो उनके भतीजे ने इसी मंदिर पर आकर आसमान में गोलियों की बौछार की थी और हमेशा के लिए हथियार छोड़ दिया था … तब भतीजे बलवंत सिंह ने यहीं सरेंडर कर दिया था…
मंदिर, इतना नहीं मंदिर की स्थापना के दौरन वही धारा से 700-800 पुरानी देवी देवताओ की मूर्ति भी निकली है जो मंदिर के प्रांगण में राखी गई है. सुबह गांव के बुजुर्ग से लेकर घर की महिलाओं तक सब यहां पूजा करने आते हैं. युवाओं का जामवाड़ा भी अक्सर मंदिर में देखा जाता है. जो अपने अंदर उमंग लिए बैठे रहते हैं और स्वामी जी से अपने करियर के बारे में बात करते रहते हैं.
अचंभित मत होइए. यहां के स्वामी श्री श्रद्धानंद जी कभी डॉक्टर रह चुके हैं…अंग्रेजी से लेकर संस्कृत के श्लोक दोनों ही उनको वाणी से स्पष्ट रूप से निकलते हैं. इसलिए गांव के लोग अक्सर उनके पास अपनी समस्या के समाधान के लिए भी आ जाते हैं. फिलहाल स्वामी जी गांव में एक पुस्तकालय खोलना चलते हैं ताकी फिर कभी कोई दूसरा कुशल नवयुवक पान सिंह तोमर ना बन जाए.
गांव में हर रविवार को हवन होता है, जब हम गांव पहुंचे तो उसमें शामिल हुए…
दान दक्षिणा पर निर्भर श्रद्धानंद जी ने गांव के युवाओं के भविष्य के लिए सपना बुना है. आप चाहें तो उनकी मदद कर सकते हैं.
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