After Kedarnath tragedy, Garud Chatti has changed drastically in past 7 years
Kedarnath disaster : साल 2013 में केदारनाथ ( Kedarnath Tragedy ) में आई भीषण आपदा में गरुड़चट्टी ( Garud Chatti ) भी अछूता नहीं रहा था। इससे पहले साल 2010 में आये आपदा के दौरान भी इसका संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गया था। जिसका नतीजा था कि यह कई सालों तक वीरान पड़ा रहा। अब इसके रामबाड़ा से दूसरी पहाड़ी पर लिनचोली होते हुए केदारनाथ तक नया पैदल मार्ग बनाया गया है। जिसके सहारे लोग यहां पहुंचते हैं।
गरुड़चट्टी Garuda Chatti को लेकर बुजुर्ग तीर्थपुरोहितों का मानना है कि केदारनाथ यात्रा में गरुड़चट्टी का विशेष धार्मिक महत्व है। यह स्थान आध्यात्म व ध्यान साधना के लिए विश्व प्रसिद्ध है। मन की शांति के लिए दशकों से सैकड़ों साधु-संत यहां पहुंचते रहे हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले इस स्थान तक पहुंच मार्ग बनाने के साथ इसे विकसित करने के लिए उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था। जिसके फलस्वरूप मुख्य सचिव उत्पल कुमार के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा लोनिवि की मदद से मार्ग बनाने को सर्वे किया गया था। जिसके बाद यह मार्ग बनकर तैयार हुआ।
केदारनाथ धाम से 1.5 किलोमीटर दूर और समुद्रतल से 11 हजार 752 फीट की ऊंचाई पर स्थित रुद्र गुफा पांच मीटर लंबी और तीन मीटर चौड़ी है। गुफा के अंदर बिजली-पानी के साथ ही बाथरूम और हीटर की व्यवस्था भी की गई है। इस गुफा में 18 मई 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 घंटे ध्यान लगाया था। इसके बाद से ये गुफाएं देश-दुनिया में लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गईं। इनके संचालन का जिम्मा गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) के पास है। गुफा में टेलीफोन के साथ ही ध्यान और योग करने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस गुफा से केदारनाथ मंदिर साफ दिखाई देता है।
मालूम हो कि, प्रधानमंत्री कई अलग-अलग मौको पर इस बात का जिक्र कर चुके है कि वह साल 1985 से 1990 के पांच साल के दौरान गरुड़चट्टी में एक संन्यासी की तरह रहे थे। तब वे रोज यहां से केदारनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा केदार के दर्शन और जलाभिषेक करते थे। बीते वर्ष 3 मई और 20 अक्टूबर को भी केदारनाथ पहुंचने पर पीएम मोदी ने यहां बिताए हुए दिनों को याद किया था।
गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था। त्रासदी के दौरान बाढ़ से मंदाकिनी नदी की उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया. यह रास्ता भी तबाही की भेंट चढ़ गया.
साल 2014 से यात्रा का रास्ता बदल दिया गया और गरुड़चट्टी सूनी हो गई. साल 2017 में पीएम मोदी के यहां पहुंचने पर पुनर्निर्माण कार्यों ने जोर पकड़ा. गरुड़चट्टी को भी संवारा गया. अक्टूबर 2018 में यह रास्ता फिर से तैयार हो गया.
– आंकड़ों की बात करें तो केदारनाथ में आई आपदा में 6000 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए।
– 8वीं शताब्दी में बने भगवान केदारनाथ के मंदिर को भी आंशिक नुकसान पहुंचा था।
– 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया. इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए।
– 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए. ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई।
– 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया. 100 से ज्यादा बड़े और छोटे होटल ध्वस्त हो गए।
– आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें, 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या बुरी तरह टूट गए।
विश्व विख्यात केदारनाथ धाम जाने वाले भक्तों को अब केदारनाथ धाम में आध्यात्म से जुड़ीं गुफाओं के दर्शन के लिए कीमत चुकानी होगी. प्रदेश सरकार गुफाओं का आधुनिकीकरण करके गुफाओं में सुविधा जुटा रही है। हालांकि, केदारनाथ धाम के संत-समाज और तीर्थ-पुरोहितों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
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