Chhath Puja 2025 : नहाय खाय और सूर्य देव की भक्ति: छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक
साल 2025 में चार दिन चलने वाले छठ पर्व का पहला दिन, जिसे नहाय खाय कहा जाता है, शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 को है। पंचांग के अनुसार यह कार्तिक मास की शुक्ल चतुर्थी के दिन पड़ता है। यह दिन छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक है और शुद्धि, तैयारी और भक्ति की भावना स्थापित करता है।
“नहाय खाय” का शाब्दिक अर्थ है “नहना और खाना”। इस दिन भक्त किसी स्वच्छ नदी, तालाब या जलाशय में पवित्र स्नान करते हैं और फिर पहला शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं। इसका उद्देश्य शरीर, मन और घर को शुद्ध करना और आने वाले व्रत एवं पूजा के लिए तैयारी करना है। इस दिन:
घर और रसोई को स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है।
भक्त सुबह-सुबह पवित्र जल में स्नान करते हैं।
केवल एक सरल, सत्त्विक भोजन लिया जाता है, जो बिना प्याज-लहसुन और हल्के मसालों के बनाया जाता है, अक्सर मिट्टी या तांबे के बर्तन में।
यह अनुष्ठान छठ पूजा के अगले तीव्र दिनों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है और सूर्य देव तथा छठी मैया के प्रति आभार और भक्ति की भावना जगाता है।
25 अक्टूबर 2025 को नहाय खाय के दिन भक्त निम्नलिखित परंपराओं का पालन करेंगे:
सुबह स्नान के बाद रसोई को पूजा के लिए तैयार किया जाएगा। बर्तनों की सफाई पूरी तरह से की जाएगी।
एक सरल सत्त्विक भोजन तैयार किया जाएगा, जैसे अरवा (चौलाई/चोकर वाला चावल), चना दाल, कद्दू या उबली सब्जी, सभी बिना प्याज-लहसुन और भारी मसालों के।
भोजन के बाद मानसिक रूप से व्रत की शुरुआत होती है।
इस दिन बड़े प्रसाद और भेंटों का ध्यान नहीं होता; फोकस शुद्ध भोजन, स्थान और मन की शुद्धि पर रहता है।
परिवार एकत्र होते हैं, बच्चे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। माहौल तैयारी और शुद्धि का होता है।
यह सरल भोजन आने वाले व्रत और भेंटों का बीज बनता है।
नहाय खाय का गहरा आध्यात्मिक महत्व है:
यह भक्त की प्रतिबद्धता और साधारण जीवन से भक्ति के पथ पर कदम रखने का संकेत है।
शुद्ध भोजन और स्नान से मन और शरीर शुद्ध होते हैं, और सूर्य देव के प्राकृतिक तालमेल के साथ जुड़ाव होता है।
यह प्रकृति और जल से जुड़ाव, ताजगी और उदय होते सूर्य के साथ आभार की भावना विकसित करता है।
यह आत्म-अनुशासन, पारिवारिक भक्ति और आध्यात्मिक मूल्यों की ओर लौटने का प्रतीक है।
इस प्रकार नहाय खाय केवल प्रारंभिक रूप से नहीं, बल्कि सार्थकता और भक्ति में पहला कदम है।
Day 1 – नहाय खाय: शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 (पवित्र स्नान + एक सत्त्विक भोजन)
Day 2 – खरना (लोहनडा): रविवार, 26 अक्टूबर 2025 (पूरे दिन व्रत, शाम को खीर/रोटी का भोग)
Day 3 – संध्या अर्घ्य: सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 (सूर्यास्त के समय नदी घाट पर अर्घ्य)
Day 4 – उषा अर्घ्य और परण: मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 (सुबह सूर्य को अर्घ्य, व्रत समाप्त)
चाहे आप बिहार के किसी नदी घाट पर हों, उत्तर प्रदेश के तालाब किनारे, या विदेश में प्रवासी समुदाय में, अनुष्ठान की यह क्रमशः प्रक्रिया समान रहती है: शुद्धि और भोजन → व्रत और अर्पण → सूर्यास्त और सूर्योदय पूजा। प्रत्येक दिन पिछले दिन की भक्ति और कनेक्शन को और गहरा करता है।
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