Diyawan Mahadev Mandir का इतिहास क्या है, आप यहां कैसे पहुंच सकते हैं, इस मंदिर की महिमा क्या है, आइए जानते हैं
जौनपुर की धरती कई आध्यात्मिक जगहों से भरी हुई है. यहां पर चौकियां धाम ( Chaukiya Dham ) है. यहां से नजदीक ही बिजेथुआ महावीर ( Bijethua Mahaviran Hanuman Mandir ) है. इन दोनों मंदिरों का धार्मिक महत्व है. इनके अलावा एक और मंदिर यहां पर है जिसका इतिहास बेहद विस्तृत है. इस मंदिर का नाम दिआवां महादेव ( Diyawan Mahadev Mandir ) है. दिआवां महादेव ( Diyawan Mahadev ) को दिआवां नाथ ( Diyawan Nath ) भी कहते हैं. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित है.
दिआवां महादेव ( Diyawan Mahadev ) जौनपुर शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित है. हर सोमवार को यहां मेले जैसा माहौल होता है. दूर दूर से श्रद्धालु यहां शिव भगवान के जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं. इंटरनेट पर मौजूद एक जानकारी के मुताबिक Diyawan Mahadev का PIN CODE 222127 है और इसका पोस्ट ऑफिस Gokha Post office है. दिआवां महादेव ( Diyawan Mahadev ) की तहसील मड़ियाहूं है. इसके नजदीकी शहर Bhadohi, Mirzapur हैं.
यह मंदिर बरसठी ब्लॉक ( Block Barsathi ) के अंतर्गत आता है. Diwayan Mahadev, Basawanpur, Gohaka, Datawan आदि गांव भी आसपास ही हैं.
आस्था के प्रतीक दियावां महादेव मंदिर ( Diwayan Mahadev Mandir ) में शिवलिंग स्वयंभू हैं. प्राचीन काल से ही यह मंदिर सिर्फ जौनपुरवासियों के लिए ही नहीं, बल्कि पूर्वांचल के दूसरे जिलों जैसे भदोही, वाराणसी, इलाहाबाद, सुलतानपुर आदि के लोगों के लिए भी आस्था के बड़े केंद्र के तौर पर जाना जाता रहा है. दिआवां महादेव मंदिर दतांव-अरुआवा मार्ग पर बसुही नदी के पास है. बसुही नदी मंदिर की आभा को और बढ़ा देती है.
ऐसा माना जाता है कि जो भी यहां सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. इसी वजह से यहां हर सोमवार को आयोजित होने वाले मेले में भक्तों की खासी भीड़ उमड़ती है. पूरे सावन महीने में यहां शिवभक्तों और कांवड़ियों का तांता लगा रहता है.
मंदिर में स्थापित शिवलिंग के विषय में कहा जाता है कि त्रेतायुग में श्रीराम के छोटे भाई शत्रुघ्न ने बाणासुर नाम के राक्षस पर विजय पाने के बाद इस मंदिर में कदम रखा था. उन्होंने ही शिवलिंग की स्थापना की और फिर पूजन किया. तब शिवलिंग का नाम दीनानाथ रखा गया था.
उस वक्त यह मंदिर जंगलों से घिरा हुआ था. बाणासुर इसी जंगल में निवास करता था. कई महीने युद्ध के बाद भी शत्रुघ्न बाणासुर पर विजय नहीं पा सके थे. बाणासुर ने शत्रुघ्न और उनकी समस्त सेना को मूर्छित कर दिया था. यह सूचना भगवान श्रीराम तक पहुंची. प्रभु श्रीराम गुरू वशिष्ठ के साथ यहां पहुंचे.
भगवान राम के प्रताप से शत्रुघ्न, सेना समेत चेत अवस्था में आगए. इसके बाद राम ने गुरू से बाणासुर पर विजय पाने का उपाय पूछा. गुरू वशिष्ठ ने बताया कि शत्रु पर जीत पाने के बाद शिवलिंग की स्थापना करनी होगी. बस यही वजह बनी दियावां महादेव के स्थापित होने की.
रेल मार्ग से: अगर पर रेल मार्ग से दिआवां महादेव मंदिर पहुंचना चाहते हैं, तो यहां से नजदीकी बड़े रेलवे स्टेशन Jaunpur Junction Railway Station या Jaunpur City Railway Station पहुंचना होगा. Jaunpur City Railway Station से यहां की दूरी 33 किलोमीटर से थोड़ी ज्यादा है और इसमें 1 घंटे का वक्त लगता है.
Jaunpur Junciton Railway Station से यहां की दूरी 37 किलोमीटर से थोड़ी ज्यादा है और इसमें 1 घंटे से ज्यादा का वक्त लगता है.
हवाई मार्ग से: यहां से नजदीकी एयरपोर्ट वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट है. हवाईअड्डे की यहां से कुल दूरी 51 किलोमीटर है. इसमें 1 घंटे 15 मिनट से ज्यादा का वक्त लगता है.
सड़क मार्ग से: जंघई, सुजानगंज, मछलीशहर, मड़ियाहूं, सिकरारा, जौनपुर, मुंगरा बादशाहपुर, आदि जगहें यहां से सड़क मार्ग से कनेक्टेड हैं. नेशनल हाईवे 31 यहीं पास है. आप वहां से होकर यहां पहुंच सकते हैं.
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