Chamoli Travel Blog : चमोली में घूमने के लिए ये जगहें है BEST, Valley of Flower भी है यहीं
Chamoli Travel Blog : दूर-दूर तक नम घास की चादर, पहाड़ी घाटियों से होकर गुजरती शीतल हवा और साथ में बहती नदियों का संगीतमय आगाज। अगर आपको प्रकृति का ये नजारा देखना है तो उत्तराखंड के चमोली जिले की यात्रा का प्लान जरूर बनाएं। चमोली गढ़वाल मंडल का एक खूबसूरत पहाड़ी जिला है जो कि अपने अंदर कई प्राकृतिक भंडारों को लेकर बैठा हुआ है। असंख्य पर्यटन गंतव्यों से सजा ये पर्वतीय जिला उत्तराखंड की शान माना जाता है। राज्य के कई प्रमुख धार्मिक स्थान इसी जिले के अंतर्गत आते हैं। फूलों की घाटी से लेकर बद्रीनाथ जैसे तीर्थ स्थान चमोली के मुख्य आकर्षणों में गिने जाते हैं। आइए जानते हैं पर्यटन के लिहाज से उत्तराखंड का ये खूबसूरत जिला आपके लिए कितना खास है।
फूलों की घाटी|| Valley of Flowers
मैदानी इलाको में जब सूरज का गोला बेतरह आग बरसाने लगता है तब इस मनोरम घाटी मे असंख्य प्राकृतिक फूलों की बहार महकती है। देश विदेश से सैलानी यहां आते है। और कुदरत के दिलकश नजारों मे खो जाते है। प्राचीन ग्रंथों मे नंदनकानन और गंधमादन नाम से इस घाटी का जिक्र किया गया है। लेकिन दुनिया को इस घाटी के बारे मै तब पता चला जब प्रसिद्ध ब्रिटिश पर्वतरोही फ्रैंक स्माइथ यहां पर आया था। वो 1931 मे गढ़वाल मे कामेट चोटी पर पर्वतरोहण करके लौटते समय रास्ता भटक गया और एक ऐसी घाटी मे पहुच गया जहां पर फूल ही फूल थे। यहां पर 260 प्रजातियों के फूल है इस रमणीक स्थल पर जाना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है।
गोपेश्वर || Gopeshwar
ये शहर चमोली जिले का मुख्यालय है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण गोपेश्वर अपने प्राचीन मंदिरो के लिए भी जाना जाता है। प्राचीन शिव मंदिर और वैतरणा कुंड यहां के प्रमुख मंदिर है।
पंचप्रयाग || PanchPrayag
पंचप्रयाग के नाम से प्रसिद्ध पांच अत्यन्त पवित्र संगम स्थलो के लिए उत्तरांचल जाना जाता है। उनमे से तीन प्रयाग चमोली जिले मे ही स्थित है। विष्णुप्रयाग- जोशीमठ से 12 किमी क़ी दूरी पर है ये अलकनंदा और धौलीगंगा संगम स्थल है। नंदप्रयाग- बद्रीनाथ मार्ग पर कर्णप्रयाग से 21 किमी की दूरी पर है ये अलकनंदा और नंदाकिनी संगम स्थल है। कर्णप्रयाग- ये चमोली से 23 किमी दूरी पर है कर्ण मंदिर और उमादेवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
जोशीमठ || Joshimath
चमोली जिले का ये एक खुबसूरत सीमांत शहर है। चमोली से लगभग 52 किमी और औली से 12 किमी की दूरी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि आदिगुरू शंकराचार्य ने इसे स्थापित किया था और यहीं एक पेड़ के नीचे दिव्य ज्योति के दर्शन किए थे। इसका पहले नाम ज्योतिमठ था जो कि बाद मै जोशीमठ हो गया। बद्रीनाथ का प्रवेशद्धार होने से भी इसका महत्व ज्यादा है। इसके अलावा ये फूलों की घाटी और हेमकुंड साहिब का भी प्रवेशद्धार है।
औली || Auli
बद्रीनाथ धाम के नंदादेवी नेशनल पार्क की गोद में स्थित औली बर्फ पर फिसलते रोमांच की एक स्वप्निल जगह है। ये शीतकालीन पर्यटन का प्रमुख आकर्षण केन्द्र है। ये घने जंगल, पहाड़ और मखमली घास से आच्छादित मैदान और ढलानों से घिरा हुआ अत्यन्त मनोरम स्थल है। यही पर देश का सबसे आधुनिक आइस स्कींग केंद्र भी स्थापित है। यहां से नंदादेवी, हाथी गौरी पर्वत, नीलकंठ का नजारा बड़ा ही सुंदर और मनमोहक दिखाई पड़ता है।
हेमकुंड साहिब || Hemkund Sahib
फूलों की घाटी से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर एक विशाल झील है। यहां पर सिक्खों का एक बहुत बड़ा गुरूद्वारा भी है। यहां पर सिक्खों के अलावा अन्य धर्मो के लोग भी आते है। हेमकुंड साहिब अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है।
बद्रीनाथ|| Badrinath
बद्रीनाथ भारत के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित ये पौराणिक मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। हिन्दुओं के चार धामों में बद्रीनाथ भी शामिल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब पवित्र गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई तो वो 12 धाराओं में विभक्त हो गई थीं जिनमें से एक धारा अंलकनंदा के रूप में प्रसिद्ध हुई। बद्रीनाथ के पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है, ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कई सालों तक कठोर तप किया था उनके तप के दौरान हिमपात होने लगा था। भगवान विष्णु को हिमपात से बचाने के लिए माता लक्ष्मी ने बदरी(बेर) पेड़ का रूप ले लिया था। जब तपस्या के बाद भगवान विष्णु को पता चला कि देवी लक्ष्मी ने उनकी रक्षा की है तो उन्होंने कहा कि आज से मेरे साथ देवी लक्ष्मी भी बदरी के नाम से पूजी जाएंगी।
चमोली कैसे पहुंचे || How to Reach Chamoli
हवाई मार्ग- चमोली के लिए निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट 221 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश 202 किलोमीटर है और सड़क मार्ग – चमोली सडक मार्ग से जुड़ा हुआ है।