Goa Journey
My Goa Yatra Blog on 3rd Day : मेरी गोवा यात्रा (Goa Journey) का तीसरा दिन 5 दिनों में सबसे अच्छा दिन रहा. इस दिन हम सुबह ही तैयार होकर होटल से निकल गए थे. सुबह के तकरीबन 10 बजे हम होटल से बाहर थे. मेरी प्लानिंग तो थी गोवा के हर बीच पर यात्रा कर लेने की लेकिन हर चीज हमेशा प्लानिंग के हिसाब से होती नहीं है. मैं, प्रीति और पीहू स्कूटी पर सवार थे और तय प्लान के मुताबिक हम अंजुना बीच की तरफ बढ़ रहे थे.
तारीख थी 2 अक्टूबर और सूरज की तेज किरणें आपको झुलसा देने के लिए तैयार थीं. शुक्र था कि गोवा में सड़क किनारे पेड़ों की भरमार थी. हम गूगल मैप का सहारा लिए बढ़े जा रहे थे. रास्ते में काजू की दुकाने देख ऐसा लगा जैसे वो हमें बुला रही हों लेकिन हमने पहला पड़ाव एक ऐसी जगह पर किया जहां आसपास के स्कूलों से बच्चे आकर डांस कर रहे थे. मराठी, बॉलीवुड और लोकगीतों की ध्वनि सुनकर मैं वहां रुकने को मजबूर हो गया था. हम परिसर में दाखिल हुए. स्थानीय लोगों और बच्चों का वहां भारी जमावड़ा था. अलग अलग परिधानों में बच्चे बेहद मोहक लग रहे थे. हमने कुछ बच्चों की तस्वीरें खींची और 2 शो का वीडियो भी रिकॉर्ड किया. ये परफॉर्मेंस देख हम वापस आगे बढ़ गए.
मैं गूगल मैप के भरोसे तो था लेकिन लोगों से पूछ पूछकर ज्यादा आगे बढ़ रहा था. सफर ऐसा लगा जैसे खत्म ही न हो रहा हो. लगभग आधा घंटे बाद हम अंजुना बीच पर थे. अंजुना बीच पर हम जहां पहुंचे थे वह बेहद छोटा सा बीच था. मैंने पहला बीच देखा जिसपर चट्टानें थीं और वह समंदर के कुछ हिस्से तक अंदर थी. लोग नो सेल्फी जोन होने के बावजूद वहां जा जाकर सेल्फी खिंचवा रहे थे. मैं और प्रीति संभलते हुए उतर रहे थे. नीचे जाकर हमने देखा कि इस बीच का अलग ही कलेवर था. यहां की रेत में कण कण हो चुकी चट्टानें मिली हुई थीं. लोग कम थे और दूर तक सागर फैला दिखाई दे रहा था. हमें एक गिरा हुआ खजूर का पेड़ भी दिखाई दिया जिसपर बैठकर हमने अलग अलग पोज में तस्वीरें खिंचवाई.
अंजुना बीच पर ही हमने फ्रूट चाट खाई और स्वीट कोर्न भी लिए. गर्मी ज्यादा थी इसलिए शिकंजी पिए बिना काम नहीं चल सकता था. महंगी ही सही लेकिन शिकंजी पीकर थोड़ा सुकून मिला. बाद में हमें पता चला कि हम जिस अंजुना बीच पर हैं वह अंजुना बीच का ही एक्सटेंडेड हिस्सा है. मुख्य अंजुना बीच नहीं. गोवा में भी कुछ ऐसा है कि आप रास्ता पूछकर रास्ता ही भटक जाते हैं. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था. हम जितना लंबा सफर कर अंजुना बीच के इस हिस्से तक पहुंचे थे, अगले दिन वापसी में इससे आधे समय में होटल पहुंच गए थे. हालांकि यहां की सड़क बेहद चौड़ी थी और पास ही बड़ी अत्याधुनिक पार्किंग भी नई नई बनी है. इसलिए इसे देखकर कोई भी धोखा खा सकता है.
अंजुना बीच के बाद हम यूं ही गूगल मैप के सहारे आगे बढ़े. वेगेटर बीच जाने के लिए हम उस दिशा में बढ़े. रास्ते में वेगेटर बीच के नजदीक में ढेर सारे स्पा, रेस्टोरेंट देखे लेकिन किसी में भी कोई चहल पहल दिखाई नहीं दी. साफ था कि ये ऑफ सीजन का असर था. हमने वेगेटर बीच के एकदम नजदीक जाकर स्कूटी वापस घुमा ली. अब हम चाबोरा फोर्ट गए. चाबोरा फोर्ट पर थोड़ी चढ़ाई थी. पार्किंग में स्कूटी लगाने के बाद आपको लगभग 200 मीटर की चढ़ाई करनी होती है. गर्मी बहुत ज्यादा थी, हमने वहां के स्थानीय लोगों से पूछा कि अंदर कैसा दृश्य है. सभी ने कहा कि ऐतिहासिक महत्व का किला है, बाकी वहां से समंदर की ब्यूटी को आप देख सकते हैं. भीषण गर्मी में हमें चाबोरा फोर्ट जाने समझदारी भरा काम नहीं लगा. इसलिए हम वहां से भी चल दिए.
हम गोवा की गलियों, सड़कों और मोहल्लों से गुजर रहे थे. ये सड़कें मेरे दिल में जगह बना रही थीं. मैं कहीं न कहीं इनसे प्यार किए जा रहा था. किसी जगह पर इतनी शांति, सुकून और अपनापन पाने के लिए मैं दिल्ली में तरसा जा रहा था. स्कूटी के इस सफर को मैं कभी भुला नहीं सकूंगा. हम न जाने कहां कहां से घूमते हुए होटल की तरफ बढ़ रहे थे. कलंगुट कुछ ही किलोमीटर था कि हमें एक जगह मंदिर दिखाई दिया. मंदिर की शैली बेहद सुंदर थी. मन में भक्ति भाव न होने के बावजूद मैंने उस मंदिर में प्रवेश किया. ये शिवजी का मंदिर था. मैं प्रीति और पीहू इस मंदिर में कुछ क्षण बैठे रहे. मैं सोचने लगा कि गोवा आकर भी कोई मंदिर जाता है क्या? हालांकि मेरी आंखें बंद ही थीं. आंख खुली तो सामने हमारी तरह ही एक और शादीशुदा जोड़ा बैठा हुआ था. उनकी भी एक बिटिया थी. हमारी तरह वह भी टूरिस्ट थे. मैंने प्रीति को देखा और हम दोनों मुस्कुराने लगे.
मंदिर से बाहर आकर हम होटल के लिए चल दिए. हमने होटल से कुछ दूर पहले ही एक रेस्टोरेंट में खाना खाया. यहां हमने सिर्फ दाल रोटी और सलाद मंगाया. इस रेस्टोरेंट में अगल बगल सब हुक्का पी रहे थे और बीयर हाथ में थी. हमने खाना खाया और होटल के लिए निकल गए. होटल पहुंचकर हमने देखा कि घड़ी में दिन के 3 बज चुके थे. हमने फैसला किया कि कुछ देर आराम कर फिर शाम की यात्रा के लिए निकलेंगे. बिस्तर पर गिरते ही नींद ने हमें आगोश में ले लिया…
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