Nako Lake Travel Blog : नाको झील में चक्कर काटने से इंसान हो जाता है पाप से मुक्त
Nako Lake Travel Blog: आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के किन्नौर की नाको झील के बारे में बताएंगे. नाको गांव में स्थित नाको झील जितनी खूबसूरत है उतना ही अपनी गहराई में कई रहस्य छुपाए हुए है.
नाको गांव समुद्र तल से 3,661 मीटर की ऊंचाई पर है. ये जगह भारत-चीन बार्डर पर स्थित है. यहां हर साल हजारों पर्यटक घूमने पहुंचते हैं. इस गांव की सुंदरता देखते ही बनती है. गांव के बीचों-बीच एक प्राकृतिक झील है जो इस गांव की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम करती है.ये झील अपने अंदर कई रहस्य भी समाए हुए है. बुजुर्गों का कहना है कि ये झील प्राकृतिक है और इसका निर्माण हजारों साल पहले हुआ था.गुरु पद्म संभव व देवता पुर्ग्युल से जुड़ा है.
यह झील चार सुंदर मंदिर और कई पेड़ों से घिरा हुआ है, जो इसके सुंदरता को और बढ़ाता है. वहां पैर की तरह एक छाप है, जो लोककथाओं के अनुसार, गुरु पद्मसंभव की है जो बौद्ध धर्म के न्यिन्गमा पाठशाला से दूसरे बुद्ध के रूप में जाने जाते हैं. इस क्षेत्र में घोड़े और याक जैसे पशुओं को देखा जा सकता हैं. इस क्षेत्र के स्थानीय देवता देओदुम हैं, जिनकी मूल निवासी द्वारा पूजा की जाती है. यह गांव पर्गिअल छोटी की एक लम्बी पैदल यात्रा करने के लिए एक संचालन केंद्र के रूप में कार्य करता है और थाशिगंग मठ के रास्ते में पड़ता है.
इस झील का इतिहास हजारों साल पहले गुरु पद्म संभव से जुड़ा हुआ है. गुरु पद्म संभव जो नालंदा विश्वविद्यालय में तांत्रिक विद्या के अध्यापन का कार्य करते थे, जब नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगी तो पद्म संभव ने आग की लपटों से कुछ एक बोद्ध धर्म की बची हुई पुस्तकों को वहां से सही सलामत निकाला था.
बताते चलें कि पद्म संभव तांत्रिक विद्या में निपुण थे और बोद्ध धर्म की पुस्तकों के कुछ अस्तित्व उन्होंने बचा लिए थे. कहा जाता है कि जब पद्म संभव के बारे में तिब्बत के राजा ठी को पता चला तो उन्होंने उनको तिब्बत बुलाया, क्योंकि उस दौरान तिब्बत में भूत प्रेतों का आतंक काफी बढ़ गया था.
जब पद्म संभव को यह बात पता चली तो वे बोद्ध पुस्तकों को लेकर वायु वेग से किन्नौर आये और नाको के समीप अपनी थकावट मिटाने के लिए रुके और कुछ देर अपने ध्यान में लगे रहे. जब उनकी आंख खुली तो गांव के मध्य अचानक एक झील का निर्माण हो चुका था.
इस झील के प्राकृतिक निर्माण गांव में सूखे जैसी कई परेशानियों का अंत हुआ. ये झील काफी बड़ी है. इस झील से पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है. इसलिए ये रहस्य का विषय है कि झील का पानी आखिर जाता कहां है. यहां थकान मिटाने के बाद गुरु संभव ने जब यहां से उड़ान भरी थी तो उन्होंने झील के पास एक पत्थर पर कदम रखा था, जिससे उनके पैर के निशान उस पत्थर पर रह गए. जिसे ग्रामीणों ने एक मंदिर के अंदर गुरु पद्म संभव की मूर्ति के साथ स्थापित किया हुआ है.
इस मंदिर में हर रोज बोद्ध लामाओं द्वारा पूजा की जाती है. वहीं, गुरु पद्म संभव के ध्यान लगाने के बाद यहां जगह-जगह पहाड़ियों पर लामाओं ने दुग्युर व स्तुपों का भी निर्माण किया है जिन्हें नाकों में पवित्र माना जाता है.नाको झील की सुंदरता के साथ इसका इतिहास भी बहुत पवित्र है. माना जाता है कि इस झील के चारों तरफ चक्कर मात्र काटने से इंसान पाप मुक्त हो जाता है. वहीं, ग्रामीणों का मानना है कि नाको झील की गहराई मापना भी बहुत मुश्किल है.
नाको को नजदीकी हवाई अड्डा शिमला में 312 किलोमीटर की दूरी पर है. हवाई अड्डे से ही, आप नाको में आपको छोड़ने के लिए एक कैब किराए पर ले सकते हैं, जिसकी कीमत आपको लगभग रु5000 – 75000 या आप शिमला से बस में सवार हो सकते हैं और रेकॉगन पियो के माध्यम से नाको पहुंच सकते हैं.
शिमला के अलावा, अगला सबसे अच्छा विकल्प चंडीगढ़ हवाई अड्डा है जो एक प्रमुख हवाई अड्डा है और देश के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.
नजदीकी रेलवे स्टेशन भी शिमला में है लेकिन यह केवल प्रसिद्ध कालका शिमला टॉय ट्रेन से जुड़ा है. शिमला के बाद अगला प्रमुख रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ में है.
Delhi University U special bus Service : दिल्ली सरकार ने 28 अगस्त 2025 को से… Read More
Vaishno Devi landslide : जम्मू और कश्मीर (J&K) के रियासी जिले में श्री माता वैष्णो… Read More
श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा मार्ग पर अर्धकुवारी में हुए भयंकर लैंडस्लाइड के कारण… Read More
Delhi Metro Fare Hike 2025: दिल्ली मेट्रो ने एक बार फिर से किराया बढ़ा दिया… Read More
भारत की राजधानी दिल्ली केवल राजनीति और आधुनिकता के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिक… Read More