Pakistani Hindu Migrants
Pakistani Hindu Migrants – देश की राजधानी में कई कहानियां हैं. दिल्ली में कई रंग हैं. अगर, इन रंगों में यात्रा को तलाश किया जाए तो आपको ऐतिहासिक इमारतें, एक साथ ज़िंदगी को जी रही कई संस्कृतियों का मेल, अलग अलग तरह के व्यंजन, गीत-संगीत, आदि नज़र आएंगे. दिल्ली के इसी रंग में एक रंग और भी है जो किसी दूसरे देश से भारत आकर ज़िंदगी को न सिर्फ जी रहा है बल्कि अपनी संस्कृति को भी ज़िंदा रखे हुए है.
हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान से आए उन हिंदू शरणार्थियों ( Pakistani Hindu Migrants ) की जो देश की राजधानी दिल्ली में ही हैं. ये हिंदू पाकिस्तान ( Pakistan Hindu Migrants ) से कई घंटों का सफर तय करके भारत पहुंचे हैं. हालांकि, दिल्ली में उन्हें रहने के लिए एक अदद घर तो मयस्सर नहीं लेकिन फिर भी, टूटे फूटे कच्चे घरों में ही वो अपने धर्म को ज़रूर ज़िंदा रख पा रहे हैं.
ये पाकिस्तानी हिंदू ( Pakistani Hindu Migrants ) , वहां के सिंध प्रांत से भारत आए हैं. भारत में ये अलग अलग जगहों पर हैं. यहां दिल्ली में, ये सभी सिंध की कला को भी आगे बढ़ा रहे हैं. इस कला में, कढ़ाईदार बैग, कढ़ाईदार तकिए, चादर हैं.
जब हम मिले पाकिस्तान से आए हिंदुओं ( Pakistani Hindu Migrants ) से हमने जब इस मोहल्ले में प्रवेश किया तो सबसे पहले यहां के बच्चों ने नमस्ते से हमारा स्वागत किया. इसके बाद हमने मोहल्ले के मुखिया से काफी देर तक बात की. हमारा मकसद, उनकी परेशानी को समझना और आम लोगों तक पहुंचाना था ताकि सही मदद उन्हें मिल सके.
मोहल्ले के मुखिया की गुज़ारिश पर, हमने उनका चेहरा भी वीडियो में नहीं दिखाया. उनका कहना था कि उनका चेहरा, पाकिस्तान में उनके परिवार के लोगों और खासतौर से माता-पिता के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. हालांकि, बच्चों के चेहरे को दिखाने के लिए उन्होंने मना नहीं किया.
पाकिस्तान से आए ये हिन्दू शरणार्थी ( Pakistani Hindu Migrants ) , भारत में बेहद बुरी स्थिति में ज़िंदगी गुजार रहे हैं. भीषण सर्दी में भी, यमुना नदी के किनारे ये सभी लोग एक तरह से खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. कुछ स्वयंसेवी संगठनों ने बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था तो की है लेकिन जब तक सरकार कुछ ठोस नहीं करेगी तब तक इनका जीवन नहीं बदल सकेगा.
ट्रैवल जुनून ने, पाकिस्तानी हिंदुओं ( Pakistani Hindu Migrants ) के घरों को विजिट किया. एक एनजीओ द्वारा संचालित स्कूल का दौरा किया. साथ ही, महिलाओं, बुजुर्गों से भी बात की. हमने यहीं पर एक घर में बनी चाय भी पी.
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