Delhi-Mumbai Expressway: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से मात्र तीन घंटे में दिल्ली से जयपुर, जानें खासियत
Delhi-Mumbai Expressway : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 12 फरवारी 2023 को बहुप्रतीक्षित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के पहले भाग का उद्घाटन किया. 1,386 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे का पहला सेक्शन 246 किलोमीटर लंबा है. दिल्ली-दौसा-लालसोट के बीच का यह सेक्शन दिल्ली से जयपुर की यात्रा को आसान करेगा. इसके बनने के बाद दिल्ली से जयपुर का पांच घंटे का सफर महज साढ़े तीन घंटे में पूरा हो सकेगा.
इस एक्सप्रेस-वे के पूरा होने के बाद दिल्ली से मुंबई तक का सफर का 24 घंटे से घटकर 12 घंटे का हो जाएगा. इसके अलावा एक्सप्रेस-वे के बीच पड़ने वालों शहरों की दूरी भी अब आसान हो जाएगी.
आइए इस एक्सप्रेस-वे के बारे में आपको कुछ खास बाते बताते हैं. इसके साथ ही जानते हैं कि इसको बनाने में कितना खर्च आया है. इस एक्सप्रेस-वे की क्या खासियत है? आम लोग कब से इसका इस्तेमाल कर सकेंगे? दिल्ली से मुंबई तक का निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा?
कितनी लागत में बनेगा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे || Delhi-Mumbai Expressway total cost
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की आधारशिला नौ मार्च 2019 को रखी गई थी. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के 246 किलोमीटर लंबे दिल्ली-दौसा-लालसोट खंड को 12,150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया गया है. इस सेक्शन के चालू होने से दिल्ली से जयपुर की यात्रा का समय 5 घंटे से घटकर लगभग 3.5 घंटे हो जाएगा. इसके अलावा सरकार ने पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को एक बड़ा बढ़ावा मिलने का भी दावा किया है. पूरी परियोजना की बात करें तो 1,386 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे को 98,000 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की खासियत || Specialty of Delhi-Mumbai expressway
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा. यह नेशनल राजधानी, दिल्ली और मुंबई के बीच संपर्क को बढ़ाएगा. एक्सप्रेस-वे 93 पीएम गति शक्ति टर्मिनल, 13 बंदरगाहों, आठ प्रमुख हवाई अड्डों और आठ मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (एमएमएलपी) के साथ-साथ जेवर हवाई अड्डे, नवी मुंबई हवाई अड्डे और जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह जैसे नए आने वाले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों को भी जोड़ेगा.
इसके अलावा, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के छह राज्यों से गुजरने वाला यह एक्सप्रेस-वे जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत जैसे आर्थिक केंद्रों से कनेक्टिविटी में सुधार करेगा.
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नए एक्सप्रेस-वे से दिल्ली और मुंबई के बीच आवागमन के समय को लगभग 24 घंटे से घटाकर 12 घंटे करने और दूरी में 130 किलोमीटर की कमी होने की उम्मीद है. इससे 32 करोड़ लीटर से अधिक के वार्षिक ईंधन की बचत होगी और कार्बन डाई ऑक्साईड (CO2) उत्सर्जन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. नेशनल हाईवे प्राधिकरण (एनएचएआई) की हाईवे के किनारे 40 लाख से अधिक पेड़ और झाड़ियां लगाने की योजना भी है.
यह एक्सप्रेस-वे एशिया में पहला और दुनिया में दूसरा है जिसमें वन्यजीवों की बिना रोक-टोक आवाजाही की सुविधा के लिए पशु पुल (अंडरपास) की सुविधा है. इसमें 3 वाइल्ड लाइफ और 5 हवाई पुल (ओवरपास) होंगे जिनकी कुल लंबाई 7 किमी होगी. एक्सप्रेस-वे में दो बड़ी 8 लेन सुरंगें भी शामिल होंगी. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे विभिन्न वनों, शुष्क भूमि, पहाड़ों, नदियों जैसे कई विविध क्षेत्रों से गुजरता है. अधिक वर्षा वाले वडोदरा-मुंबई खंड के लिए कठोर फुटपाथ डिजाइन को अपनाया गया है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के 94 सुविधाओं यानी वे साइड अमेनिटीज -डब्ल्यूएसए बनाई गई हैं. रास्ते के किनारे की सुविधाओं में पेट्रोल पंप, मोटल, विश्राम क्षेत्र, रेस्टोरेंट और दुकानें होंगी. इन वे साइड सुविधाओं में चिकित्सा आपात स्थिति के मामले में संपर्क बढ़ाने और लोगों को निकालने के लिए हेलीपैड भी इस एक्सप्रेस-वे पर होंगे.
दिल्ली-वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेस-वे केवल सफर ही सुगम नहीं करेगा बल्कि आपात स्थिति में इस पर फाइटर प्लेन भी उतारे जा सकेंगे. इस सड़क को रोड रनवे के रूप में विकसित किया जा रहा है. सोहना के अलीपुर से मुंबई के बीच इस पर करीब 55 स्थानों पर ऐसे हिस्से विकसित किए जा रहे हैं, जहां फाइटर प्लेन को आसानी से उतारा जा सके. अलीपुर से दौसा तक करीब 296 किलोमीटर के हिस्से में ही करीब 10 ऐसे हिस्से हैं, जहां फाइटर प्लेन आसानी से उतारे जा सकते हैं.
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इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 12 लाख टन से अधिक स्टील की खपत होगी, जो 50 हावड़ा पुलों के निर्माण के बराबर है
लगभग 35 करोड़ घन मीटर मिट्टी को स्थानांतरित किया जाएगा जो निर्माण के दौरान चार करोड़ ट्रकों के लादने के बराबर है
इस परियोजना के लिए 80 लाख टन सीमेंट की खपत होगी जो भारत की वार्षिक सीमेंट उत्पादन क्षमता का लगभग 2 प्रतिशत है
आम लोग कब से इस्तेमाल कर सकेंगे || When will the common people be able to use it?
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) टोल वसूली की तैयारी पूरी नहीं कर पाया है, इसीलिए रविवार को उद्घाटन के बाद भी वाहन चालकों को सफर के लिए 15 फरवरी तक इंतजार करना पड़ेगा. एनएचएआई के परियोजना निदेशक मुदित गर्ग के अनुसार, लोकार्पण के लिए तैयारी चल रही है. बड़े पैमाने पर टेंट लगाए जाएंगे. उसे उतारने के लिए समय चाहिए, इसलिए लोकार्पण के बाद 15 से सफर शुरू किया जाएगा.