Khirsu in Uttarakhand is a very beautiful place to visit
Khirsu- खिर्सू एक सुंदर स्थान है जो पौड़ी से 19 किमी. की दूरी पर स्थित है. खिर्सू से मध्य हिमालयीन पर्वत श्रेणियों का सांस रोकने वाला दृश्य देखा जा सकता है. समुद्र सतह से 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित शहर की हलचल से दूर खिर्सू एक सुरम्य स्थान है. यहां के शांत वातावरण में पक्षियों की चहचहाहट गूंजती है और यह स्थान ओक और देवदार के वृक्षों से ढंका हुआ है. हरे सेब के बाग इस स्थान की सुंदरता बढ़ाते हैं. यहां पास में घंडियाल देवता को समर्पित एक प्राचीन मंदिर भी है. टूरिस्ट रेस्ट हाउस (विश्रामगृह) और फॉरेस्ट रेस्ट हाउस पर्यटकों को यहां रहने की सुविधा प्रदान करते हैं.
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यहां के शांत वातावरण में पक्षियों की चहचहाहट गूंजती है और यह स्थान ओक और देवदार के वृक्षों से ढंका हुआ है. हरे सेब के बाग इस स्थान की सुंदरता बढ़ाते हैं. यहां पास में घंडियाल देवता को समर्पित एक प्राचीन मंदिर भी है. टूरिस्ट रेस्ट हाउस (विश्रामगृह) और फॉरेस्ट रेस्ट हाउस पर्यटकों को यहां रहने की सुविधा प्रदान करते हैं.
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समूह की अध्यक्ष ग्राम ग्वाड़ निवासी अर्चना बताती हैं कि यहां सैलानियों का स्वागत पहाड़ के रस्मो-रिवाज के अनुसार किया जाता है. भोजन भी चूल्हे पर बनता है और वह भी विशुद्ध पहाड़ी. मेन्यू में मुख्य रूप से मंडुवे की रोटी, झंगोरे की खीर, गहत (कुलथ) की दाल व फाणू, चैंसू और कढ़ी-झंगोरा शामिल हैं. बासा में अब तक 123 पर्यटक रात्रि विश्रम कर चुके हैं. लॉकडाउन के चलते मार्च से जुलाई तक यह भी बंद रहा, लेकिन अब इसे पर्यटकों के लिए दोबारा खोल दिया गया है.
बासा में दो व्यक्तियों के खाने और एक रात ठहरने का किराया तीन हजार रुपये है. बुकिंग के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है. यहां मौजूद सुविधाओं की संपूर्ण जानकारी पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है. प्रसिद्ध शिकारी जॉय हुकील बासा में ठहरने वाले सैलानियों को न सिर्फ वाइल्ड लाइफ से जुड़े किस्से-कहानियां, बल्कि रोमांचक अंदाज में शिकार से जुड़े अपने अनुभव भी सुनाते हैं. सैलानी कभी हॉल में उनसे किस्से-कहानियां सुनते हैं तो कभी बासा के आंगन में. इस दौरान सैलानियों को पहाड़ी रीति-रिवाज, संस्कृति आदि के बारे में जानकारी भी दी जाती है.
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बासा के ब्रांड एंबेसडर जॉय हुकील अब तक 38 आदमखोर गुलदारों को मार चुके हैं. उनका यह सफर वर्ष 2007 से शुरू हुआ था, जो अनवरत चल रहा है. बकौल जॉय, मानव-वन्य जीव संघर्ष में मानव जीवन को बचाने के लिए मैंने यह कार्य शुरू किया. मैं पौड़ी शहर में रहता हूं और जहां भी गुलदार के आदमखोर होने पर वन विभाग की ओर से मुङो बुलाया जाता है, तुरंत पहुंच जाता हूं.
जिलाधिकारी धीरज गब्र्याल ने बताया कि खिर्सू में ऐसे होम स्टे की जरूरत थी, जिसे सहभागिता के आधार पर संचालित कर स्थानीय महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके. बासा इसमें सफल साबित हो रहा है. यहां वाइल्ड लाइफ से जुड़े किस्से-कहानियों को सुनना अलग ही अनुभव है. अब अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के होम स्टे को बढ़ावा देने के लिए कार्य किया जा रहा है.
साहसिक गतिविधियों में इटली की पैरा मोटर को शामिल किया है. हिमालय एरो स्पोट्र्स एसोसिएशन की टीम इन दिनों देहरादून में ट्रायल कर रही है. जिलाधिकारी के मुताबिक इस मशीन को स्थानीय युवाओं को ट्रेनिंग के मकसद से सतपुली, बांघाट और खैरासैंण के लिए तैयार किया जा रहा है. एक घंटे में 4 लीटर पेट्रोल में यह पौड़ी से देहरादून तक की उड़ान भर सकती है. यह इंजन 165 किलो वजन के साथ उड़ान भरने में सक्षम है. इंजन के साहसिक खेल विशेषज्ञ बीयर द्वारा एवरेस्ट पर्वत श्रृखंला को पार करने में उपयोग में लाया गया था.
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