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Madhya Pradesh Tourism : मध्य प्रदेश राज्य (भारत) में स्थित सागर दमोह मार्ग पर दर्जनों ऐसी गुफाएं मौजूद है जिनको बहुत कम लोग जानते है। जो आबचंद के घने जंगलों में स्थित हैं। जिसमे रंगीन खूबसूरत रंगो के साथ खूबसूरत शैल चित्रकारी की गई है। और यह इलाका गधेरी नदी के किनारे बसा हुआ है। जो कलाकृतियां यहां की गुफाओं में बानी हुई है उन से आदम के जीवन को साफ-साफ देखा जा सकता है। जिसमे आदम-समाज के रहन-सहन और उनके सामाजिक जीवन को आप देख सकते है। वही किसी को इस जगह के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होने के वजह से सिर्फ यहां के लोग इस जगह को आबचंद की गुफाओं के नाम से ही जानते है।
सागर शहर से लगभग 34 किलोमीटर कि दूरी पर सागर दमोह नामक मार्ग से, ललितपुर से होते हुए 130 किमी0 आगे चलकर कुछ ही दुरी पर ये शैल गुफांए जिनको “आबचंद की गुफांए भी कहा जाता है” मौजूद है।
इन गुफाओं में मौजूदा चित्रकारी से आपको पाषाणकाल और मध्यकाल की झलकियां देखने को मिल जयेगी। वही कहा जाता है कि ये गुफांए भी उसी समय से यहां मौजूद हैं। जिसका पुरातत विभाग द्वारा यह भी अंदाजा लगाया गया है की ये गुफाएँ गधेरी नदी के पानी के बहाव से कट कर बनी है। और यहां मौजूद सबसे बड़ी गुफा सभी गुफाओं में से 40 किलोमीटर लम्बी है जो काफी अद्भुत है। वही आबचंद क़ी ग़ुफाए ग़िरबर रेलवे स्टेश्न से ३ क़िमी की दूर पर स्तिथ है।
पहाड़ी और पथरीले रास्ते से होते हुए आप नीचे जंगल में पहुंचते है जिसको आबचंद के जांगले भी कहा जाता है और यहां पहुंच कर आपको गधेरी नदी भी देखने को मिल जयेगी। जिसका पानी कुछ पहले के मुकाबले कम हो गया है। और वही पर एक हनुमान मंदिर मौजूद है। जहाँ पर स्थानीय श्रद्धालु आते-जाते रहते है। वही किसी खास मोके पर यहां पर काफी भीड़ भी रहती है जैसे की न्यू-ईयर के समय इत्यादि वही हर साल यहां पर मकर सक्रांति के दिन मेला लगता है और भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है। मंदिर के चारों तरफ स्थानीय लोग खाने-पीने के ठेले लगा कर अपने लिए रोजगार की भी तलाश करते है। वही भगवान बजरंगबली के मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही जय श्री राम के नारे लगाते हुए श्रद्धालु भी आपको दिखाई दे जएंगे।
वही चारो तरफ से घने जंगलों से घिरे होने के साथ-साथ यहां पर शाम के समय में जंगली जानवरों की आवाजाही बढ़ जाती है और स्थानीय लोगो ने यहां नदी के पास शेर को पानी पीते हुए कई बार आते जाते देखा है।
गुफाओं का अनजाना सा रहस्य
स्थानीय लोग और बुज़ुर्गों की बताई हुई कहानी के चलते लोगो का कहना है की इन गुफाओं में जो जाता है वो वापस लोट कर कभी नहीं आता। वही पास के मंदिर में मौजूद पुजारिओं का कहना है कि प्राचीन काल से भी पुरानी है ये गुफाये जिनको विचित्र गुफाये भी कहा जाता है। वही फिलहाल ये गुफाये बंद कर दी गई है जहां पर अब कोई नहीं जाता।
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