Five Best Camping Destinations Near Bangalore – भारत में यात्रा करने वाले ज्यादातर टूरिस्ट कैंपिंग के लिए क्रेजी रहते हैं. कैंपिंग है ही ऐसी… कैंपिंग के दौरान मस्ती के साथ-साथ नेचर की खूबसूरती में रहने का मौका भी मिलता है. यूं तो भारत में कैंपिंग के लिए कई पॉपुलर कैंपिंग डेस्टिनेशन हैं, लेकिन आज हम आपको बैंगलोर से सटे 5 ऐसे कैंपिंग डेस्टिनेशंस ( Camping Destinations near Bangalore ) के बारे में बताएंगे जहां आप वीकेंड पर कैंपिंग का मजा ले सकते हैं.
शहर की भागदौड़ से दूर कुछ वक़्त पहाड़ों और जंगलों में बिताकर आप न सिर्फ खुद को तरोताज़ा कर देंगे बल्कि कई यादगार लम्हें भी हमेशा के लिए सहेज लेंगे. आइए जानते हैं देश की मेट्रो सिटी बैंगलोर के पास 5 बेस्ट कैंपिंग डेस्टिनेशंस ( Camping Destinations near Bangalore ) के बारे में…
वैसे देखा जाएं तो कैंपिंग एडवेंचर का एक बहुत ही अहम हिस्सा है, घने-जंगल और पहाड़ों के बीच कैंप का नाम सुनते ही मन अपने आप ही एक्साइटेड और रोमांचित हो उठता है. बिजी लाइफ से थोड़ा समय निकालकर हर किसी को एडवेंचर एक्टिविटी में जरूर शामिल होना चाहिए. आइए जानते हैं बैंगलोर के पास मौजूद बेस्ट 5 कैंपिंग डेस्टिनेशंस के बारे में
इस लिस्ट में पहला नाम आता है मकालिदुर्ग ट्रैक का. बैंगलोर के पास स्थित मकालिदुर्ग पर ट्रैक करना हर ट्रैवलर किसी का सपना का होता है. मोनोलिथिक पहाड़ी पर चढ़ाई करना उतना आसान नहीं होता जितना आप सोच रहे हैं. वैसे तो ये ट्रैक सिर्फ 8 किमी का है लेकिन इसमें आपको पथरीले रास्तों से होकर गुजरना पड़ेगा जोकि काफी मुश्किल है.
मकालिदुर्ग रेलवे स्टेशन से उतरने के बाद ही रेलवे ट्रैक से ट्रैकिंग के ट्रैक की शुरुआत हो जाती है. कुछ किलोमीटर पैदल चलने के बाद आप मेन प्वाइंट पर पहुंच जाएंगे, बेस कैंप पहुंचने के बाद आप चाहें तो भगवान कृष्णन के मंदिर में आराम कर सकते हैं. यहां पर आप गांव की झलक भी देख सकते हैं.
इस जगह पर आप नाइट ट्रैकिंग भी कर सकते हैं. रात के समय ये जगह और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई देती है. गर्मी के मौसम में ये जगह बहुत गर्म रहती है इसलिए बेहतर होगा कि आप सुबह जल्दी से जल्दी अपनी ट्रैकिंग शुरू कर दें.
सावनदुर्ग कमाल की जगह है. बैंगलोर से 33 कि.मी दूर होने के कारण, भारत के किसी भी कोने से यहां पहुंच सकते हैं. सावनदुर्ग प्रसिद्ध है अपनी दो पर्वतों के लिए, “करिगुडा” और ” बिलिगुडा”. ये दोनों पर्वत दक्कन पठार से 1226 मीटर ऊंचें हैं. करिगुडा का अर्थ है काली पहाड़ी और बिलिगुडा का अर्थ है सफेद पहाड़ी. विशाल चट्टानों, ग्रेनाईट और लेटराइट से बनी इस पहाड़ियों पर चढ़ाई करना बहुत थका देता है.
सावनदुर्ग ट्रैक कैसे जाएं- सावनदुर्ग सावनदुर्ग जाने के लिए बैंगलोर से मगडि के लिए कई बसों की सेवा उपलब्ध है. मगडि से आगे आप किसी भी बस या रिकक्षा के सहारे सावनदुर्ग पहुंच सकते हैं. बैंगलौर से मगडि का रास्ता लगभग 2 घंटे का है.
अंतरगंगे का आकर्षण अपनी चट्टानी संरचना और गुफाओं की वजह से है. जिन लोगों को ऊंचाइयों से डर नहीं लगता है, उन लोगों के लिए, रॉक और पहाड़ी ट्रैकिंग पर चढ़ना एक एडवेंचर एक्सपीरियंस हो सकता है. यहां की गुफाएं एक्सप्लोर करने लायक हैं. यात्रा में कम से कम एक या दो घंटे लगते हैं, जबकि नीचे आना तेज और आसान होगा. रोपेल्लिंग और हाई रोप क्लाइंबिंग भी साहसिक लोगों के लिए अन्य विकल्प हैं. अंतरगंगे का धार्मिक महत्व भी है. कई तीर्थयात्री यहां बारहमासी वसंत और पुराने मंदिर देखने के लिए आते हैं.
वास्तव में, वसंत यहां पर एक बैल के मुंह में रखा पत्थर देखा भी कमाल का लम्हा होता है. यह मंदिर की संरचना का हिस्सा है.
अंतरगंगे ट्रैक कैसे जाएं: यह जगह बैंगलोर से 68 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बेहतरीन रोडवेज और सीधी कनेक्टिविटी होने की वजह से पर्यटक यहां आसानी से पहुंच जाते हैं.
हाईकिंग को लेकर एक्साइटेड रहने वाले लोग या ट्रेकिंग क्लब के मेंबर व नेचर लवर पूरे साल कोल्ली हिल्स की सैर के लिए आते हैं. अग्य गनी एक मशहूर वाटरफॉल है जो हजारों टूरिस्टों को आकर्षित करता है. यहां “ओरी उत्सव” मनाया जाता है जिसमें अनेक कल्चर एक्टिविटी का आयोजन किया जाता है और इस उत्सव के कारण यहां कई लोग आकर्षित होते हैं. इस क्षेत्र में पर्यटन को विकसित करने के लिए सरकार द्वारा सीकुपरई और सेलुर नाडु में दो व्यू पॉइंट बनाए गए हैं. मसिला फॉल्स और स्वामी प्रणवनन्दा आश्रम अन्य दो प्रमुख आकर्षण हैं.
कोल्ली हिल्स कैसे पहुंचे : कोल्ली हिल्स ट्रेन और रास्ते से अच्छे से जुड़ा है.
कावेरी फिशिंग कैम्प, दक्षिण कर्नाटक के जंगलों के बीच शान से बहती हुई कावेरी नदी के पास है. यह जगह प्रकृति प्रेमियों को शांत जंगलों की ओर आकर्षित करती है. हर रोज की व्यस्त जि़दगी से निकलकर यहां आने वालों को आनंद, शाति, और संतुष्टि एक साथ मिलती है. बैंगलोर शहर से 100 कि.मी. दूर, बैंगलोर-कोल्लेगला नेशनल हाईवे पर यह शिविर मंड्या जि़ले में स्थित है. हगलूर से 23 कि.मी. दूर यह फिशिंग कैम्प कर्नाटक वन लाज और रेसार्ट की देखरेख में है. फिशिंग कैम्पस में तीन शिविर हैं- भीमेश्वेरी, गलीबोर और दोद्दमकली.
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भीमेश्वपरी और गलीबोर शिविर पर्यटकों के लिए बने हैं जबकि दोद्दमकली शिविर एक सुदूर स्थित कार्पोरेट प्रवेशद्वार के रूप में उन्नति कर रहा है. ये तीनों जगह मूल रूप से फिशिंग और नेचर कैंप्स हैं. गलीबोर का शिविर भीमेश्वरी से लगभग 16 कि.मी. की दूरी पर है जबकि दोद्दमकली शिविर भीमेश्वरी से लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर है. ये स्थान बहुत पुराने और बीहड़ हैं जहां आप शहर से दूर अपना समय बिता सकते हैं.
कायाकिंग, ट्रैकिंग, हरिगोल की सवारी तथा माउंटेन बाइकिंग जैसी कुछ गतिविधियों का मज़ा आप यहां ले सकते हैं. इन गतिविधियों के अलावा आप पक्षियों की 95 प्रजातियां, मगरमच्छ और कछुआ भी यहां देख सकते हैं. अगर आप बाहर घूमना पसंद करते हैं तो यह एक बेहतरीन जगह है जहां आप आनंद ले सकते है.
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