Chhath Puja 2024 Day 3
Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार से लोगों की गहरी आस्था और भावनाएं जुड़ी हुई हैं. लोग साल भर छठ पूजा का बेसब्री से इंतजार करते हैं. यह एकमात्र ऐसा अवसर होता है जब पूरा परिवार एक साथ आता है. परिवार के अन्य सदस्य जो साल भर दूर रहते हैं, वे भी इस त्योहार को मनाने के लिए अपने घर आते हैं. छठ महापर्व की असली छठा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश समेत नेपाल के मधेश क्षेत्र में भी देखने को मिलती है. छठ पूजा ही एक ऐसी छठ पूजा है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. आज यानी गुरुवार को छठ का तीसरा दिन है. 7 नवंबर छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाएगा.छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. आज व्रती महिलाएं शाम को नदी के किनारे बने छठ घाट पर पूरी श्रद्धा के साथ भगवान भास्कर की पूजा करती हैं. व्रती पानी में खड़े होकर ठेकुआ, गन्ना और अन्य प्रसाद सामग्री के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार और बच्चों की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
इस वर्ष छठ महापर्व का तीसरा दिन 07 नवंबर, गुरुवार को संध्या अर्घ्य का है. इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 6:14 बजे और सूर्यास्त का समय शाम 5:37 बजे है. द्रिक पंचांग के अनुसार षष्ठी तिथि 06 नवंबर को दोपहर 3:11 बजे से शुरू हो रही है और 07 नवंबर को दोपहर 3:04 बजे समाप्त होगा.
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और ऐसा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.
संध्या अर्घ्य के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और फिर साफ कपड़े पहनने चाहिए.
फिर व्रत रखने वाले व्यक्ति को मुट्ठी में जल लेकर संकल्प लेना चाहिए. छठ पर्व के तीसरे दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को जल चढ़ाती हैं. शाम की प्रार्थना के समय डूबते सूर्य को जल चढ़ाने के लिए एक बड़ी बांस की टोकरी या 3 टोकरियां लेनी होती हैं. टोकरी या टोकरी में आपको चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सब्ज़ियां और अन्य सामग्री रखनी होती है. सभी पूजा सामग्री को टोकरी या टोकरी में रखने के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद टोकरी में रख दिया जाता है और अर्घ्य दिया जाता है. शाम की प्रार्थना के दौरान सूप में एक दीया जलाकर रखा जाता है। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद छठी मैया को फल, ठेकुआ और अन्य प्रसाद चढ़ाया जाता है. फिर शाम की प्रार्थना करने के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है.
महत्व छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है.
छठ व्रत संतान की लंबी आयु और समृद्धि के लिए किया जाता है.
इस व्रत को करने से परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है.
वहीं जिन लोगों की गोद सूनी है और वे छठ व्रत करते हैं तो छठी मैया की कृपा से उन्हें जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है.
आपको बता दें कि छठ पूजा में डाला का विशेष महत्व होता है. डाला का मतलब होता है बांस की टोकरी. इस डाला को पुरुष या महिला अपने सिर पर रखकर तालाब या नदी के किनारे बने छठ घाट पर जाते हैं. इस डाला में छठ पूजा से जुड़ी सभी पूजा सामग्री होती है.
(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक और लोक मान्यताओं पर आधारित है. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. traveljunoon किसी भी बात की सच्चाई का कोई प्रमाण नहीं देता है.)
Iran Travel Blog : ईरान, जिसे पहले फारस (Persia) के नाम से जाना जाता था,… Read More
Pahalgam Travel Guide : भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम (Pahalgam) उन चंद जगहों में… Read More
Haifa Travel blog: इजरायल और ईरान युद्ध में जिस एक शहर की चर्चा सबसे ज्यादा… Read More
Jagannath Puri Temple, ओडिशा का एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल आस्था बल्कि… Read More
उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ तक पहुँचने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु Helicopter Services… Read More
Air travel को भले ही आज सबसे सुरक्षित transport modes में गिना जाता है, लेकिन… Read More