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Murthal के ढाबे में नहीं मिलता Nonveg, जानें क्या है Reason

सात राज्यों में अपने पराठों के स्वाद के लिए फेमस Murthal के ढाबों पर Non-Veg नहीं बेचा जाता. इसके पीछे की कहानी आस्था और धार्मिक भावना से जुड़ी है. दरअसल 1956 में मुरथल में सिर्फ दो ही ढाबे होते थे. जिले के प्रसिद्ध संत बाबा कलीनाथ ने दोनों को मांसाहार न बेचने का आदेश दिया था. ढाबा संचालकों के परिजनों ने बताया कि बाबा कलीनाथ ने कहा था कि शाकाहार ही सबसे बेस्ट है. यहां सिर्फ शाकाहारी खाना ही बनेगा. जो मांसाहार बेचेगा वह बर्बाद हो जाएगा. उनके आदेश को मानकर आज भी Dhaba ऑपरेटर सिर्फ शाकाहारी खाना बनाते हैं.

History of Murthal Dhaba

मुरथल में सबसे पहला ढाबा मुरथल गांव निवासी सीताराम ने करीब 1950 में शुरू किया था. 1956 में अमरीक-सुखदेव के पिता प्रकाश सिंह ने अपना ढाबा शुरू किया था. उन दिनों गांव मलिकपुर के संत बाबा कलीनाथ अपने आशीर्वादों, चमत्कारों और जनकल्याण के लिए पूरे क्षेत्र में फेमस थे. बाबा ने प्रकाश सिंह को बुलाकर ढाबे पर सिर्फ शाकाहारी खाना ही बनाने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि इस इलाके में जो भी मांसाहार बेचेगा वह बर्बाद हो जाएगा. 70-80 दशक के मध्य बाबा कहीं चले गए थे, बाद में उनका कोई अता-पता नहीं लगा लेकिन आज भी किसी भी ढाबे पर मांसाहार नहीं बेचा जाता. बताया जाता है कि दो ढाबा संचालकों ने मांसाहार बेचना शुरू किया था. इनमें से एक तो एक माह में ही बंद हो गया और दूसरे का बहुत बड़ा नुकसान हो गया था.

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Soya Chaap and Paneer are options

मुरथल के ढाबों पर मांसाहार के ऑप्शन के रूप में स्वाद के शौकीनों को सोया चाप और पनीर की डिश परोसी जाती हैं. ढाबों और चाप की दुकानों पर शाम को सोया चाप के कई फूड और पनीर टिक्का समेत अन्य पकवानों की बिक्री बढ़ जाती है. लोग यहां पहुंचकर मांसाहार की बजाय शाकाहारी फूड ही मांगते हैं.

Identity made of paratha, dal makhani and kheer

शुरू में मुरथल के ढाबों पर सिर्फ पराठे, दाल मखनी और मीठे के रूप में खीर ही मिलती थी लेकिन आज यहां पर हर प्रकार के शाकाहारी फूड मिलते हैं. पहले ट्रक चालक यहां से गुजरते हुए रुककर खाना खाते थे लेकिन आज मुरथल के ढाबे पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में अपने शाकाहारी व्यंजनों के स्वाद के लिए प्रसिद्ध हो चुके हैं. शनिवार और रविवार को यहां दिल्ली-एनसीआर से स्वाद के शौकीनों की भारी भीड़ उमड़ती है.

 

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Komal Mishra

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