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Narmada River Facts : भगवान शिव ने नर्मदा नदी क्यों बनाई और ये उल्टी क्यों बहती है

Narmada River Facts:  नर्मदा नदी, जिसे नर्बदा या नेरबुड्डा के नाम से जाना जाता है, केवल एक नदी नहीं है. इसे मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने नर्मदा नदी का निर्माण किया था. आइए जानते हैं नर्मदा नदी के बारे में सबकु…

नर्मदा नदी का इतिहास || Narmada River history

इस नदी का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथ वेदों और पुराणों में भी मिलता है.महान ऋषि वेद व्यास ने स्कन्द पुराण में नर्मदा नदी का जिक्र रेवा के नाम से किया है. कहा जाता है की इस नदी की उत्पत्ति देवो के देव महादेव अर्थात शिव जी के पसीने से हुआ है.

शिवजी के पसीने से 12 साल की कन्या की उत्पत्ति हुई जिसका नाम भगवान विष्णु ने ‘नर्मदा‘ रखा. कहते हैं की इस दिव्य कन्या ने हजारों साल तक कठोर तपस्या के बल पर भगवान सदा शिव से कई अनोखे वरदान प्राप्त किये. वरदान में उन्होंने पाया की प्रलय में भी नर्मदा का नहीं होगा ‘नाश’. मान्यता है की इन्हें भगवान शिव से वर प्राप्त है।हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार नर्मदा नदी का एक-एक कंकड़ का टुकड़ा पूजनीय होगा.

यह नदी पाप नाशिनी के रूप में युगों-युगों तक लोगों का पाप हरती रहेगी. मान्यता है नर्मदा के तट पर भगवान सदा शिव माता पार्वती के सहित वास करते हैं. जो भी तपस्वी, ऋषि मुनि नर्मदा के तट पर तपस्या करेंगे उन्हें सिद्धि प्राप्त होगी.

नर्मदा नदी का महत्व || About Narmada river

माना जाता है की नर्मदा नदी में पायी जाने वाली हरेक कंकर शिवलिंग है। कहते हैं की नर्मदा रिवर के दर्शन मात्र से ही उतना फल मिल जाता है जितना की यमुना में सात बार, सरस्वती में तीन बार और गंगा नदी में एक बार स्नान करने से प्राप्त होती है। भारत की एकमात्र नदी जिसकी परिक्रमा की जाती हैं।

मध्यप्रदेश की जीवन रेखा || Narmada river information

इस नदी की लंबाई 815 मील है। लंबाई की दृष्टिकोण से यह नदी मध्य भारत में बहने वाली भारत की पाँचवी सबसे बड़ी नदी है। नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के कई जिलों से होकर गुजरती है।

यह नदी मध्यप्रदेश के लाखों लोगों के आजीविका मुहैया करती है। इस कारण इसे मध्यप्रदेश की जीवन रेखा के नाम से जाना जाता है। जहाँ सभी नदियां अपने उद्गम से निकालकर बंगाल की खाड़ी में सागर मे मिल जाती है।

वहीं नर्मदा नदी अपने उद्गम से निकालकर पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती है इस कारण नर्मदा रिवर के बारे में कहा जाता है की यह नदी उलटी बहती है। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए भरूच जिले के पास नर्मदा नदी खम्बात की खाड़ी में गिरती है।

नर्मदा नदी का उद्गम स्थल ||  origin of Narmada river

भारत के इस पवित्र-पावन नर्मदा नदी का उद्गम मध्यप्रदेश में मैकल पर्वत के अमरकंटक के पास है। नर्मदा नदी अपने उद्गम से निकलने के बाद कपिलधारा नामक जलप्रपात बनाते हुए आगे बढ़ती है। रास्ते में कई घुमावदार मोड़ और घने जंगल और चट्टानों को चीरते हुए जबलपुर पहुंची है।

यह नदी अमरकंटक से निकलकर करीब 1300 किलोमीटर से ज्यादा की लंबी दूरी तय करती हैं। अंत में यह गुजरात में खंबात की खाड़ी के पास सागर में समा जाती है।

नर्मदा नदी की कहानी || Narmada river story

इस नदी के बारे में कई कहानी प्रचिलित हैं। कहा जाता है की नर्मदा जिसका एक नाम रेवा भी है. एक अन्य मान्यता के अनुसार रेवा अर्थात नर्मदा राजा मैखल की कन्या थी. जब नर्मदा बड़ी हुई तब राजा मैखाल ने अपनी बेटी के शादी के लिए एक शर्त रखी.

उन्होंने कहा की उनकी बेटी के लिए एक बिशेष प्रकार पुष्प लाकर भेंट करेगा। उसी के साथ उनकी बेटी नर्मदा की शादी होगी. कई सारे राजकुमारों ने कोशिस की लेकिन सफल नहीं हो सके.अंत में सोनभद्र ने नर्मदा को वह विशेष फूल गुलबकावली भेंट करने में सफल हो गए.

शर्त के अनुसार नर्मदा और सोनभद्र की शादी पक्की हो गई. शादी के ठीक पहले नर्मदा की सखी जूहीला ने धोखे से सोनभद्र को अपना लिया। जब इस बात का पता नर्मदा को चला तब वे बहुत ही क्रोधित हुई. तभी उन्होंने आजीवन कुंवारी ही रहने की ठान ली और गुस्से में उलटे दिशा में चल पड़ी। तभी नर्मदा बंगाल की खाड़ी में मिलने के बजाय पश्चिम दिशा में चलते हुए अरब सागर में समाहित हो गई.

नर्मदा नदी के बारें में रोचक बातें || Interesting facts about Narmada River

नर्मदा नदी अन्य नदी की तुलना में विपरीत दिशा में पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती है.

भारत की अधिकांश नदी जहां बंगाल की खाड़ी में गिरती है वहीं नर्मदा अरव सागर में गिरती है.

नर्मदा नदी को भारत की प्राचीन और सात पवित्र नदी में से एक माना जाता है.

नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश का अमर कंटक है जो हिन्दी धर्म का एक फेमस तीर्थ स्थल है.

पुराणों में नर्मदा का जिक्र पाताल नदी के रूप में मिलता है. कहते हैं की प्रलय काल में इसका नशा नहीं होगा.

नर्मदा नदी डेल्टा क्यों नहीं बनती है|| Narmada river information

नदियां डेल्टा तब बनाती हैं जब नदियाँ अपने जल धारा के साथ बहाकर लाने वाली मिट्टी को एक जगह जमा कर देती हैं. नदियों के जल धारा का समुद्र में विलीन होने से पूर्व गति मन्द पड़ जाता है जिससे डेल्टा का निर्माण होता है. लेकिन नर्मदा नदी के साथ इस तरह की बाद नहीं पाई जाती है. इस नदी के तेज परवाह के कारण डेल्टा का निर्माण नहीं हो पाता है। यही कारण है की नर्मदा नदी डेल्टा नहीं बनाती है.

नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के कितने जिलों से होकर गुजरती है || Narmada goes through how many district

नर्मदा नदी मध्य भारत में अमरकंटक से निकलकर 1077 किमी का लंबा सफर तय करते हुए अरव सागर में समा जाती है. इस दौरान नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के करीब 16 जिलों से होकर गुजरती है। इस प्रमुख जिलों में खण्डवा, खरगोनशहडोल, मण्डला, होशंगाबाद, जबलपुर और नरसिंहपुर का नाम शामिल है.

नर्मदा नदी किन राज्यों से होकर गुजरती है || Narmada flows through which states

नर्मदा नदी मध्य भारत में अमरकंटक से निकलकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात होते हुए अरव सागर में मिल जाती है. इस प्रकार कहा जा सकता है की नर्मदा नदी भारत के दो राज्यों से होकर गुजरती हैय

नर्मदा नदी क्यों उल्टी बहती है ||  Why does the Narmada River flow backward?

नर्मदा नदी भारत के मध्यप्रदेश के मैखल पर्वत के अमरकंटक चोटी से निकलती है. यह नदी वहां से निकलकर मध्य प्रदेश और गुजरात होते हुए समुन्द्र में मिल जाती है.

नर्मदा नदी उल्टी बहती है इसका भौगोलिक कारण इसका रिफ्ट वैली में होना माना जाता है. इसकी ढाल पूर्व से पश्चिम की ओर है. यही कारण है की नर्मदा का बहाव अन्य नदी से उलटी दिशा में पूर्व से पश्चिम की ओर है.

नर्मदा किसकी बेटी थी || Whose daughter was Narmada

एक पौराणिक कविदंती के अनुसार नर्मदा राजा मैखल की बेटी थी.

नर्मदा नदी पर कौन सा बांध है || Which dam is on Narmada river

नर्मदा नदी पर दो प्रमुख बांध है। एक मध्य प्रदेश के जबलपुर के पास बरगी बांध है तथा दूसरा गुजरात में स्थित सरदार सरोवर बांध है.

नर्मदा नदी का उद्गम कहां से है || Where does Narmada River originate from?

नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश में स्थित मैकाल पर्वत के अमरकंटक शिखर को माना जाता है.  इस प्रकार नर्मदा अमरकंटक से निकलती है और पूरब से पश्चिम की तरफ बहती हुई खम्बात की खाड़ी में मिल जाती है.

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