Saudi Arabia Women driving Law : ‘ड्राइविंग सीट पर बैठना सदियों की बेड़ियों के टूटने जैसा था’
Saudi Arabia Women driving Law : पिछले दिनों रियाद गया था। वहां 28 साल की हाया मिली। सऊदी में जन्म लेने के बाद न्यूयार्क में पली-पढ़ी और 2012 में रियाद लौट आयी थी। जब वह अमेरिका से रियाद लौटी थी तब बहुत निराश थी। बंधनों में पूरी तरह जिंदगी थी। सऊदी के साथ अमेरिका में ग्रीन कार्ड भी मिल चुका था। कभी-कभी सोचती थी कि वह अमेरिका में अपनी दो बेटियों के साथ लौट जाए। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह खुश है।
पिछले साल 23 जून को रात में 11 बजे से ही गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी थी। 24 जून से देश में महिलाओं को ड्राइविंग की आजादी मिलने वाली थी। हाया उन चंद लड़कियों में थी जिसने उस दिन रात के 12 बजे गाड़ी सड़क पर निकाली। तब से वह खुद गाड़ी ड्राइव करती थी। हाया कहती है कि उसके लिए गाड़ी चलाना सदियों की बेड़ी टूटने की प्रतीक सा था।
यह तम्महा उसके लिए आज फिर जीने की तमन्ना है जैसी थी। अब वह जहां काम करती है वहां कई दूसरी लड़कियां भी काम करती है। रियाद के सफर में जिस भी कॉरपोरेट ऑफिसों में गया वहां लड़कियां काम करती दिखी। ऐसे जगह जहां घरों में भी पुरुष-महिलाओं को साथ् बैठने की आजादी महज कुछ साल पहले तक नहीं थी वहां के लिए बड़ी बात थी। सऊदी में पहली बार फार्मुला ई का रेस हुआ जिसमें रॉक कंसर्ट भी हुआ। इसका जो माहौल था वह किसी ओपेन सोसाइटी से कम नहीं था।
यह सब बहुत कम समय में हुआ है। दो साल पहले तक मॉल में लड़का-लड़की साथ दिखने पर कोरे की सजा वहां की धार्मिक पुलिस से पाते थे। जबकि मैंने स्टॉरबक्स में युवा जोड़ियों को कॉफी पीते देखा। हाया ने कहा कि अब उसे अपनी बेटियों को रियाद में रखने ही कोई गलत नहीं लगेगा।
ऐसा नहीं कि अभी भी सुबकुछ ठीक हो गया है। लेकिन साेशल रिफार्म बहुत स्लो प्रोसेस होता है। इस लिहाज से सऊदी बड़ा बदलाव देख रहा है।
(पत्रकार नरेंद्र नाथ ने 3 जनवरी 2019 को अपनी फेसबुक वॉल पर इस पोस्ट को शेयर किया)