Travel History

Safdarjung Tomb: कौन थे नवाब सफदरजंग जिनके नाम पर दिल्ली में एयरपोर्ट, स्टेशन, अस्पताल हैं!

Safdarjung Tomb : दिल्ली में सफदरजंग मकबरा एक मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. हालांकि कम ही लोग इस मकबरे की सच्चाई को जानते हैं. कौन थे सफदरजंग के नवाब और क्यों दिल्ली में उनके नाम पर मकबरा बनाया गया? आइए इस लेख में हम जानते हैं सफदरजंग मकबरे के बारे में और साथ ही सफदरजंग नवाब के बारे में भी…

सफदरजंग का मकबरा भारत की दिल्ली में स्थित है. सफदरजंग का असली नाम Mirza Muqim Abul Mansur Khan था. इनकी याद में बनाया गया ये मकबरा बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित किया गया. 1754 में नवाब सफदरजंग के लिए बना ये मकबरा मुगल साम्राज्य की अंतिम शैली में बना मकबरा है.

यह स्मारक बेहद विशाल है. सफदरजंग को अवध के दूसरे नवाब के रूप में भी जाना जाता है. नवाब सफदरजंग को मुगल साम्राज्य (वजीर उल-ममलक-ए-हिंदुस्तान) का प्रधान मंत्री बनाया गया था. ये वह दौर था जब अहमद शाह बहादुर 1748 में सिंहासन पर काबिज था.

सफदरजंग मकबरा 18वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था. सफदरजंग के बेटे नवाब शुजा-उद-दौला द्वारा निर्मित यह मकबरा मुगल स्थापत्य शैली का आखिरी मकबरा है.

नई दिल्ली में सफदरजंग रोड और अरबिंदो मार्ग (सड़क) के जंक्शन पर स्थित, सफदरजंग हवाई अड्डे के पास यह ऐतिहासिक स्मारक भारत की राजधानी में आने वाले भारतीय और विदेशी दोनों पर्यटकों को अट्रैक्ट करने वाला एक फेमस टूरिस्ट प्लेस है. आइए जानते है इस मकबरे के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.

सफदरजंग मकबरे का इतिहास || History of Safdarjung Tomb

सफदरजंग, कारा युसूफ के वंशज थे. 1739 में उन्होंने अपने ससुर और मामा, बुरहान-उल-मुल्क सआदत अली खान प्रथम को अवध की गद्दी पर बैठाया और 19 मार्च 1739 से 5 अक्टूबर 1754 तक शासन किया. मुगल बादशाह मुहम्मद शाह ने उन्हें “सफदर जंग” की उपाधि दी.

सफदर जंग एक कुशल प्रशासक थे. वह न केवल अवध पर नियंत्रण रखने में प्रभावी था.उन्हें जल्द ही कश्मीर का राज्यपाल पद भी दिया गया और दिल्ली के दरबार में एक केंद्रीय व्यक्ति बन गए. मुहम्मद शाह के बाद के वर्षों के दौरान, उन्होंने पूरे मुगल साम्राज्य पर प्रशासन का पूर्ण नियंत्रण कर लिया.

जब 1748 में अहमद शाह बहादुर दिल्ली में सिंहासन पर बैठा तब सफदर जंग उसका वज़ीर-उल-मलिक-ए-हिंदुस्तान या हिंदुस्तान का प्रधान मंत्री बन गए. उन्हें अजमेर का गवर्नर भी बनाया गया और नारनौल के “फौजदार” बने.

Travel Vlogging Gadgets: ट्रैवल व्लॉगिंग शुरू करने के लिए ये 5 गैजेट्स हैं जरूरी

हालांकि, अदालत ने उन्हें 1753 में बर्खास्त कर दिया गया. वह दिसंबर 1753 में अवध लौट आए और फैजाबाद को अपने सैन्य मुख्यालय और प्रशासनिक राजधानी के रूप में चुना.अक्टूबर 1754 में 46 वर्ष की आयु में फैजाबाद के पास सुल्तानपुर में उनका निधन हो गया. मुगल सम्राट ने बेटे नवाब शुजा-उद-दौला को दिल्ली में अपने पिता के मकबरे का निर्माण करने की अनुमति दी. मकबरे का निर्माण 1754 में पूरा हुआ था.

Safdarjung Tomb Architecture

एक इथियोपियाई वास्तुकार द्वारा डिजाइन किया गया सफदरजंग मकबरा मुगलों द्वारा बनाया गया अंतिम मकबरा है. हालांकि सफदरजंग मकबरे को फेमस ऐतिहासिक स्मारक, हुमायूं के मकबरे की तरह ही डिजाइन और निर्मित किया गया था, लेकिन बाद में इसमें भव्यता और शैली दोनों का अभाव आ गया.

यह मकबरा एक विशाल बगीचे से घिरा हुआ है, जिसके हर तरफ 280 मीटर (920 फीट) का एक आंगन है. यहीं एक तीन गुंबद वाली मस्जिद है जो एक दीवार के भीतर परिसर के अंदर स्थित है.

लाल और भूरे-पीले रंग के बलुआ पत्थर से बने मकबरे में एक ऊंची छत है और एक विशाल कक्ष केंद्रीय गुंबद से ढका हुआ है. इसके निर्माण में अब्दुल रहीम खानखाना के मकबरे के स्लैब का इस्तेमाल किया गया था. मकबरे का दो मंजिला मुख्य प्रवेश द्वार स्मारक का बेहतरीन व्यू दिखाता है.

इसके फ्रंट पर जटिल डिजाइन बनाए गए हैं, जिसके पिछले हिस्से में कई कमरे और एक लाइब्रेरी है. इसकी सतह पर उकेरे गए एक अरबी शिलालेख के अनुवादित संस्करण में लिखा है, “जब सादा बहादुरी का नायक क्षणभंगुर से विदा हो जाए, तो वह ईश्वर के जन्नत का का निवासी बन जाए”.

इसके चौकोर केंद्रीय कक्ष में एक केंद्रीय रूप से रखा गया सेनोटाफ और 8 विभाजन हैं. मकबरे के इंटीरियर में रोकोको प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया है.

मुगलों की ट्रैडिशनल चारबाग गार्डन शैली के अनुरूप डिजाइन किए गए मकबरे को घेरने वाले विशाल गार्डन को चार भागों में बाटा गया है. जिसके चारों पानी की नहरें हैं. हर हिस्से को फिर से चार छोटे बगीचों में विभाजित किया गया है.

यहां ‘जंगली महल’ या ‘पैलेस इन द वुड्स’, ‘बादशाह पसंद’ या ‘द एम्परर्स फेवरेट’ और ‘मोती महल’ या ‘पर्ल पैलेस’ भी हैं. ये मंडप जो ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार कभी सफदरजंग के परिवार द्वारा निवास के रूप में यूज किए जाते थे. अभी पूरा मकबरा वर्तमान में एएसआई के नियंत्रण में है.

गार्डन मकबरे की एंट्री टिकट || Entry Ticket of Safdarjung Tomb

नई दिल्ली, भारत में सफदरजंग रोड और अरबिंदो मार्ग (सड़क) के जंक्शन पर स्थित यह खूबसूरत गार्डन मकबरा सनराइस और सनसेट  तक पूरे दिन पर्यटकों के लिए खुला रहता है. भारतीय नागरिकों के लिए प्रति व्यक्ति फीस रु. 15/- और विदेशियों के लिए रु. 200/-. 15 वर्ष तक के बच्चों के लिए प्रवेश फ्री है.

सफदरजंग मकबरे कैसे पहुंचा जाए || How to reach Safdarjung Tomb

सफदरजंग मकबरे तक पहुंचने के लिए  कैब, ऑटो रिक्शा, स्थानीय बसों से जाया जा सकता है. नजदीकी मेट्रों स्टेशन जोर बाग (Jorbagh Metro Station) है.

Recent Posts

ईरान में भारतीय पर्यटकों के लिए घूमने की बेस्ट जगहें और Travel Guide

Iran Travel Blog : ईरान, जिसे पहले फारस (Persia) के नाम से जाना जाता था,… Read More

1 week ago

Pahalgam Travel Guide : पहलगाम क्यों है भारत का Hidden Heaven? जानिए सफर से लेकर संस्कृति तक सब कुछ

Pahalgam Travel Guide : भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम (Pahalgam) उन चंद जगहों में… Read More

2 weeks ago

Haifa Travel blog: इजराइल के हाइफा से क्या है भारत का रिश्ता, गहराई से जानिए!

Haifa Travel blog: इजरायल और ईरान युद्ध में जिस एक शहर की चर्चा सबसे ज्यादा… Read More

2 weeks ago

Unmarried Couples का Entry Ban: आखिर क्या हुआ था Jagannath Temple में राधा रानी के साथ?

Jagannath Puri Temple, ओडिशा का एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल आस्था बल्कि… Read More

2 weeks ago

केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश क्यों होते हैं? जानें पीछे के 5 बड़े कारण

उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ तक पहुँचने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु Helicopter Services… Read More

2 weeks ago

Top 7 Plane Crashes: जब एक पल में खत्म हो गई सैकड़ों जिंदगियां!

Air travel को भले ही आज सबसे सुरक्षित transport modes में गिना जाता है, लेकिन… Read More

2 weeks ago