ganga express way will add 12 districts of up preparations intensified after yogis order
Ganga ExpressWay – देश के विकास के लिए उन सभी प्रोजेक्टों पर तेजी से काम हो रहा जिससे भारतवासियों को भी काफी राहत मिलने वाली है. एक तरफ जहां लोगों को रोजगार मिलेगा तो वहीं दूसरी तरफ 594 किमी लंबी एक्सप्रेस वे सड़क का निर्माण कार्य पूरा होगा. दरअसल, हम मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाले गंगा एक्सप्रेस वे ( Ganga ExpressWay ) परियोजना के निर्माण कार्य की बात कर रहे हैं. जिसका काम आने वाले साल 2021 के जनवरी महीने से ही शुरू कर दिया जाएगा. बता दें कि 594 किमी लंबे एक्सप्रेस वे को साल 2023 तक बना लेने का लक्ष्य है. खास बात तो ये है कि यदि इस एक्सप्रेस वे ( Ganga ExpressWay ) का निर्माण 2023 तक हो जाता है तो ये देश का अब तक का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के लोग इस एक्सप्रेस वे से किसी भी कोने में आ जा सकें.
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लोगों के सफर को आसान बनाने के साथ-साथ ये राज्य को आर्थिक मजबूती भी देगा. बताया जा रहा है कि इस परियोजना कार्य को पूरा करने के लिए सिर्फ जमीन की खरीदारी में तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. ये पूरी जिम्मेदारी जिलों के जिलाधिकारियों पर होगी कि कौन कितने समय में अपने आसपास से एक्सप्रेस वे के लिए जमीन का प्रबंध यूपीडा के लिए करा पाता है. क्योंकि अब तो बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के साथ ही पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिए भी जमीन खरीदने और उन पर अधिग्रहण का काम खत्म हो गया है. इसलिए अब यहां के राजस्व से संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करने का काम सौंपा जाएगा.
गंगा एक्सप्रेसवे ( Ganga ExpressWay ) पश्चिम उत्तर प्रदेश में मेरठ से कनेक्ट होगा, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से जुड़ेगा. इसके अलावा यह एक्सप्रेसवे 12 जिलों को जोड़ेगा, खासकर बड़े औद्योगिक शहर इससे कनेक्ट होंगे. इनमें मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, राय बरेली, अमेठी, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जैसे शहर शामिल हैं.
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एक्सप्रेसवे के राइट ऑफ वे (ROW) की चैड़ाई 130 मी. प्रस्तावित है, एक्सप्रेसवे के एक ओर 3.75 मी. चैड़ाई की सर्विस रोड स्टैगर्ड रूप में बनाई जायेगी. जिससे परियोजना के आस-पास के गांव के निवासियों को सुगम आवागमन की सुविधा उपलब्ध हो सके. जानकारी के मुताबिक इस एक्सप्रेस वे की चौड़ाई करीब 130 मीटर होगी. इसके साथ ही सर्विस रोड की चौड़ाई 3.75 मीटर होगी. इस पर लगने वाली लागत 39298 करोड़ से ज्यादा आने का अनुमान लगाया जा रहा है. फिलहाल यूपीडा की तरफ से लगातार ये प्रयास किया जा रहा है कि इस साल के आखिरी तक इस परियोजना का शिलान्यास का काम पूरा हो जाए. ताकि आने वाले साल के जनवरी महीने से साइट पर निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
पहले फेज में यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का होगा, जिसे 8 लेन तक बढ़ाया जा सकता है. यह मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के करीब 555 गांवों को कवर करेगा, जो एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल गतिविधियों का एक हब है. प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी UPEIDA ने कंस्ट्रक्शन लागत का अनुमान 23,436.88 करोड़ रुपये जताया है. इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत अतिरिक्त 10,000 करोड़ रुपये है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 39,298 करोड़ रुपये है. यह ड्रीम प्रोजेक्ट के पूरा होने से दिल्ली और प्रयागराज के बीच यात्रा का समय मौजूदा 10-11 घंटे से घटकर 6-7 घंटे रह जाएगा.
इस प्रोजेक्ट को एकसाथ शुरू कराया जाए इसके लिए इसे 12 पैकेज में डिवाइड किया जाएगा. हर टेंडर का चयन प्रतिस्पार्धी बिडिंग के जरिए होगा. इस एक्सप्रेसवे में 292 अंडरपास10 फ्लाईओवर, 19 इंटरचेंज और 137 ब्रिज बनेंगे. मायावती सरकार ने 2007 में इस एक्सप्रेसवे का पहली बार प्रस्ताव रखा था. उस वक्त यह 1047 किमी लंबा प्रोजेक्ट था. इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से 2009 में मिली पर्यावरण मंजूरियां खारिज हो जाने के बाद प्रोजेक्ट ठप हो गया. शुरुआती प्रस्ताव के मुताबिक यह प्रोजेक्ट गंगा बेसिन में था, जिसके चलते यह प्रोजेक्ट अटक गया. इससे सबक लेते हुए योगी सरकार ने प्रोजेक्ट पर रिवर्क किया और गंगा नदी के तट से 10 किमी दूर से एक्सप्रेसवे को ले जाने का फैसला किया.
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